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बदायूं लोकसभा सीटः जीत हासिल न कर सका स्थानीय प्रत्याशी, तो क्या जीत पाएंगे केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा

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  • एम बाई एम बाहुल्य है बदायूं लोकसभा क्षेत्र

बदायूं। लोकसभा का चुनाव हो या फिर विधानसभा का चुनाव वर्तमान में सभी चुनाव पीएम नरेन्द्र मोदी और सीएम आदित्यनाथ योगी के चेहरे पर लड़े जा रहे हैं और इसमें खराब किस्मत वाले प्रत्याशी को छोड़ कर भाजपा के सभी प्रत्याशी आसानी से जीत जाते हैं। यूपी में जीत के लिए भले ही मोदी और योगी की जीत वाली गारंटी हो लेकिन बदायूं लोकसभा सीट पर दशकों से किसी भी पार्टी का स्थानीय नेता जीत हासिल न कर सका है जबकि बाहरी प्रत्याशी यहां आकर आसानी से चुनाव जीत कर अपना परचम लहरा देते हैं।

बदायूं लोकसभा सीट पर केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा को भाजपा का प्रत्याशी बनाने की चर्चाएं जोरो पर है लेकिन ठीक इसके विपरीत जनता आशंका जता रही है कि बदायूं केन्द्रीय मंत्री का गृहनगर उझानी है अगर वह चुनाव लड़ते हैं तो क्या जीत कर मिथ्थक तोड़ पाएंगे या फिर भाजपा भी बाहरी प्रत्याशी को लाकर जीत के लिए परम्परागत तरीका अपनाएंगी। बदायूं लोकसभा क्षेत्र मौर्य, यादव और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। शनिवार को जारी भाजपा प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में बदायूं का नही है जिससे प्रतीत होता हैं कि बदायूं में ऐसा प्रत्याशी आएगा जो जनता का विश्वास जीत सके।

बदायूं लोकसभा क्षेत्र में केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा द्वारा व्यापक स्तर पर किया जा रहा जनसम्पर्क और लोकसभा क्षेत्र में लगे होर्डिंगों से चर्चा हो रही है कि पीएम मोदी की राज्यसभा सांसदो के लोकसभा चुनाव लड़ाने की रणनीति के तहत बदायूं लोकसभा सीट से श्री वर्मा को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। बदायूं लोकसभा क्षेत्र में उझानी उनका गृहनगर भी है हालांकि उनकी उम्मीदवारी की अभी कोई घोषणा भाजपा आलाकमान ने नही की है लेकिन श्री वर्मा का लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। बदायूं लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डाले तब वर्ष 1980 में बदायूं निवासी असरार अहमद कांग्रेस से चुनाव जीत पाए थे इसके बाद से कोई भी स्थानीय नेता आज तक लोकसभा में नही पहुंच सका है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वर्ष 1984 में हुए चुनाव में बाहर से आए सलीम इकबाल शेरवानी ने चुनाव जीता जबकि स्थानीय प्रत्याशी भगवान सिंह को हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 89 मंे हुए चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सलीम इकबाल शेरवानी को जनता दल के नेता शरद यादव ने हराया। यह दोनों बाहरी प्रत्याशी थे। वर्ष 91 में हुए चुनाव मंे भाजपा के बाहरी प्रत्याशी स्वामी चिंमयानंद चुनाव जीते जबकि स्थानीय प्रत्याशी को हार कर सामना करना पड़ा। वर्ष 96 में हुए सपा के सलीम इकबाल शेरवानी चुनाव जीते जबकि भाजपा की स्थानीय प्रत्याशी शांति देवी को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 99 और 2004 में चुनाव में सपा के सलीम इकबाल शेरवानी ने जीत हासिल की। वर्ष 2009 और 2014 में धर्मेन्द यादव और वर्ष 2019 में भाजपा की बाहरी प्रत्याशी संघमित्रा मौर्य ने चुनाव जीता। इन सभी चुनावों मंे स्थानीय प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था।

मौर्य-यादव- मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है बदायूं लोकसभा, जातिगत गणित भी स्थानीय प्रत्याशी पर पड़ता है भारी
बदायूं लोकसभा क्षेत्र अन्य जातियों के अलावा मौर्य-यादव और मुस्लिम बाहुल्य है। इस जातिगत गणित में स्थानीय प्रत्याशी कभी भी फिट नही बैठ सका है यही कारण है कि उसे हार का सामना करना पड़ता है जबकि ठीक इसके विपरीत बाहरी प्रत्याशी में न जाने ऐसा क्या जादू होता है कि वह चुनाव जीतने में कामयाब हो जाता है। बदायूं लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली विधानसभा गुन्नौर और सहसवान यादव बाहुल्य है जबकि इसमें मुस्लिम और मौर्य भी अच्छी संख्या में वोटर है। बिसौली विधानसभा में यादव, मौर्य, ब्रहाम्मण की संख्या पर्याप्त है। बिल्सी विधानसभा मौर्य और क्षत्रिय बाहुल्य है जबकि इसमें मुस्लिम वोटरांे की संख्या अच्छी खासी है। बदायूं विधानसभा में कुर्मी और वैश्यों का बोलबाला है जबकि मुसलमान व अन्य जाति का वोटर भी अच्छी संख्या में है। बदायूं लोकसभा क्षेत्र जातिगत गणित के हिसाब से भी स्थानीय नेता के गणित को पूरी तरह से फेल कर देता है जिससे उसे हार का सामना करना पड़ जाता है।

शनिवार को जारी भाजपा प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में बदायूं का नाम नही हुआ शामिल
भाजपा ने शनिवार को यूपी के प्रत्याशियों के लिए पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में बदायूं का नाम शामिल नही है। राजनैतिक क्षेत्र में हो रही चर्चाओं को माने तब भाजपा बदायूं सीट पर ऐसा प्रत्याशी उतारेगी जो जीतने की कुब्बत रखता हो। चर्चाओं को माने तब पीएम मोदी ने भले ही राज्यसभा सांसदों को लोकसभा चुनाव लड़ाने का मन बना लिया हो लेकिन बदायूं सीट पर भाजपा कोई रिस्क नही लेना चाहेंगी। राजनैतिक चर्चाओं में कहा जा रहा है कि बदायूं सीट पर भाजपा ऐसा प्रत्याशी उतारेगी जो सभी जातियों में अपना प्रभाव छोड़ सके और भाजपा की जीत का परचम लहरा सके।

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