बिल्सी,(बदायूं)। पदमांचल जैन मंदिर द्वारा संचालित अरिहंत वृक्षारोपण समिति की एक बैठक कैंप कार्यालय पर आयोजित की गई। जिसमें पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर चर्चा की गई। जिसमें संस्थापक प्रशांत जैन ने कहा कि कभी दलदली भूमि को सूखा धरा में बदलने के लिए अंग्रेजों के जमाने में भारत लाया गया यूकेलिप्टस का पेड़ आज पर्यावरण के लिए मुसीबतों का सबब बनता जा रहा है।
जिले में वर्ष दर वर्ष यूकेलिप्टस का रकबा बढ़ रहा है। पेड़ो की बढ़ती संख्या से भूगर्भ के गिरते जलस्तर को थामने की कोशिशों पर भी खतरा मंडराने लगा है। उन्होने कहा कि आर्थिक रूप से काफी उपयोगी होने के कारण किसान अब आम, अमरूद, जामुन, शीशम के बजाय यूकेलिप्टस की बागवानी को अपना रहे हैं। हर प्रकार के मौसम में बढ़वार की क्षमता, सूखे की दशाओं को झेल लेने की शक्ति, कम लागत व आसानी से उपलब्ध हो जाने के कारण किसान तेजी से यूकेलिटस की बागवानी को अपनाते जा रहे हैं। निर्माण कार्यों की इमारती लकड़ी के अलावा फर्नीचर, प्लाईवुड, कागज, औषधि तेल, ईंधन के रूप में यूकेलिप्टस की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। क्षेत्र में यूकेलिप्टस के पेड़ों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। इसके चलते चंद पैसों का मुनाफा तो जरूर हो रहा है लेकिन पर्यावरण को होने वाली भारी नुकसान की अनदेखी की जा रही है। उन्होने पर्यावरण प्रे्मियों से यूकेलिप्टस के पेड़ कम लगाने का आह्वान किया है। इस मौके पर मनोज कुमार, हनी वार्ष्णेय, साजन गुप्ता, प्रतीक कुमार, ग्रीश कुमार शर्मा, अनुज शर्मा, शिवा माहेश्वरी, अमन कुमार आदि मौजूद रहे।