बरेली

कृष्ण.सुदामा प्रसंग के साथ साथ खेली गई फूलों की होली

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बरेली। श्री हरि मन्दिर सत्संग भवन कैन्ट मे साप्ताहिक श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिवस पर कथा वाचक प्रेमानुरागी कृष्ण कोकिला लाडली के मुख से सुदामा प्रसंग सुनाया इसके पश्चात फूलों की होली खेली गई। इस अवसर पर मौजूद श्रद्धालु भावविभोर होकर नृत्य करने लगे।

कथा के अंतिम दिन कथा वाचक प्रेमानुरागी ने सत्संग करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण और सुदामा दोनों बालसखा है। दोनों बचपन में एक साथ खेले.कूदे, गुरुकुल में भी साथ पढे लेकिन बड़े होने के बाद भगवान श्री कृष्ण द्वारिका के राजा बने। लेकिन सुदामा बड़ी गरीबी में अपना जीवन बिता रहे थे। सुदामा की पत्नी जानती थी कि द्वारिकाधीश श्री कृष्ण सुदामा के बहुत अच्छे मित्र हैं। इसीलिए सुदामा की पत्नी ने अपनी गरीबी से छुटकारा पाने के लिए सुदामा को जिदकर भगवान श्री कृष्ण के पास सहायता मांगने भेजा । हालाँकि सुदामा श्री कृष्ण से मदद लेना नहीं चाहते थे। सुदामा मीलों पैदल चल कर द्वारिका नगरी पहुंचते हैं। सुदामा के यह बताने पर कि उनका नाम सुदामा है और वो कृष्णा से मिलना चाहते हैं।तब द्वारपाल महल के अंदर जाकर कृष्ण को सुदामा के बारे में बताता हैं। श्री कृष्ण दौड़े .दौड़े चले आते हैं और अपने परम मित्र को महल के अंदर ले जाकर उनका खूब आदर सत्कार करते हैं। खूब आदर सत्कार करने के बाद कृष्ण सुदामा को खाली हाथ विदा कर देते हैं। इससे नाराज सुदामा घर लौटते समय कृष्ण के बारे में अनगलत बातें सोचने लगते हैं। वो सोचते हैं कि बचपन में घर. घर जाकर माखन मांग कर खाने वाला मुझे क्या देगा। लेकिन जब वो अपने गांव पहुंचते हैं तो उन्हें झोपड़ी की जगह आलीशान व भव्य महल दिखाई देता है और महल के द्वार पर सारी सुख सुविधाएं नजर आती है। सच्चाई का एहसास होने वो दयासागर करणानिधान भगवान श्री कृष्ण के प्रति नतमस्तक होकर उनकी महिमा गाने लगते हैं। इसके पश्चात फूलों की होली हुई श्रीमदभागवत में रीता मेहता, आरती मेहता, नीलम साहनी, जया खुराना, सीमा सूरी, दीपाली मेहता, कृष्ण मेहता, सुधीर मेहता, वैभव जयसवाल, राजकुमार शर्मा, शान्तुज मिश्रा, ललित मोहन मल्होत्रा व छप्पन भोग परिवार का विशेष सहयोग रहा।

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