बदायूं। वर्तमान समय में मवेशियों में लम्पी स्किन डिजीज का खतरा बढ है। इसको लेकर पशुपालन विभाग ने गाइडलाइन जारी करते हुए पशुपालकों को गैर जनपद से मवेशियों की खरीद नहीं करने की सलाह दी है साथ ही कहा गया है कि पशुओं की बीमारी पर लाहपरवाही न बरतें और उनका इलाज कराते हुए अफवाहों पर ध्यान न देने की जरूरत है।
उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. नरेंद्र नारायण शुक्ला ने बताया कि लम्पी स्किन डिजीज एक विषाणुजनित है, जो कि केवल मवेशियों में होता है। ऐसे में इससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। पड़ोस के राज्यों में इस रोग के फैलने की सूचना है। उन्होंने कहा कि सहसवान मे इस रोग का एक भी ऐसा केस नहीं मिला है। ऐसे में यह रोग प्रवेश न कर सके, इसलिए पशुपालकों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि रोग के लक्षण इस रोग में मवेशी को तेज बुखार, आंख व नाक से पानी गिरना, पैरों में सूजन, पूरे शरीर में कठोर एवं चपटी गांठ जैसे लक्षण पाए जाते हैं। कभी-कभी संपूर्ण शरीर की चमड़ी विशेष रूप से सिर, गर्दन, थूथन, थन व गुदा के बीच के भाग पर गांठों के उभार बन जाते है। कभी पूरा शरीर गांठों से ही ढक जाता है। यह रोग मक्खियों के जरिए अन्य स्वस्थ मवेशियों में फैलने का खतरा रहता है जिससे कभी कभी मवेशी की जान पर बन आती है। ऐसे में लक्षण दिखाई देने पर तत्काल निकट के पशु चिकित्साधिकारी से संपर्क करना चाहिए और बीमार पशु को और पशुओं से अलग कर देना चाहिए।