बदायूं। रविवार को आर्य समाज विद्यापीठपुरम में साप्ताहिक सत्संग समागम हुआ जिसमें वक्ताओं ने वैदिक शिक्षा और संस्कारों को वरीयता देने का आग्रह किया। इसके लिए विविध प्रतियोगी आयोजन संपन्न कराने की भूमिका पर विचार मंथन किया गया।
छह मार्च रविवार को सिविल लाइन क्षेत्र में संपन्न इस साताहिक आयोजन के दौरान आचार्य वेदव्रत आर्य ने वर्तमान पीढी में वैदिक विचारों का उदय होना आवश्यक बतलाया। उन्होंने कहा कि विश्व मंगल कामना के लिए अपनी संतानों को संस्कारवान बनाना जरूरी है इसके लिए उनमे वैदिक आचार.विचारों का संचार होना अति आवश्यक है। आचार्य श्री आर्य ने कहा कि किसी भी धार्मिक आयोजन में प्रोढ़ और बुजुर्ग की उपस्थिति तो रहती है लेकिन युवा वर्ग नाममात्र ही दिखते है। इसलिए युवा वर्ग को अपने साथ सत्संग आदि आयोजन में जोडऩे की चेष्टा करें। साथ ही विविध प्रतियोगिताओं के माध्यम से से संतान को वैदिक विचार धारा की ओर मोड़ सकते हैं । सत्संग में उपस्थित कुवरपाल सिंह ने सुझाव देते हुए वैदिक विचारधारा के सचार केलिए टोलियां बनाकर राष्ट्र और समाजहित में योगदान दिया दिया जाए। इसके अलावा संगीतमय प्रवचन भी एक माध्यम है। सियाराम आर्य ने नेता सुभाष चंद बोष के जीवन चरित्र के माध्यम से उनके देशप्रेम और बलिदान का वृतांत सुनाया तो वीरपाल सिंह एवं अमरपाल सिंह सत्यार्थ प्रकाश और आर्याभविष्य के माध्यम से वैदिक सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए प्रभु भक्ति में लीन रहने हेतु प्रेरित किया।