उझानी

गंदे पानी की दुश्वारियां झेल रहे नरऊ गांव के ग्रामीणों ने किया मतदान का बहिष्कार, समस्या के निदान तक नही डालेंगे वोट

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उझानी,(बदायूं)। नगर के समीपवर्ती शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र के गांव नरऊ तालाब में एकत्र हो रहे उझानी नगर के गंदे पानी से दुश्वारियां झेल रहे ग्रामीणों ने समस्या का निदान न होते देख एकजुट होकर मतदान का बहिष्कार कर दिया यहां तक की पोलिंग बूथ पर कोई भी ग्रामीण किसी भी दल का बूथ एजेंट बनने तक को तैयार नही था जिससे पोलिंग बूथ खाली नजर आ रहे थे। दोपहर तक ग्रामीणों के मतदान बहिष्कार के बाबजूद जिले के जिम्मेदार अधिकारी और राजनैतिक दलों के नेताओं ने ग्रामीणों से बात करने की जरूरत नही समझी है।

विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बदायूं में मतदान की प्रक्रिया सुबह सात बजे से प्रारंभ हो गई थी। उझानी के समीपवर्ती गांव नरऊ में पहुंच रहे नगर का गंदा पानी के चलते दुश्वारियां झेल रहे ग्रामीणों ने एकजुट होकर मतदान का पूरी तरह से बहिष्कार कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि उझानी नगर का गंदा पानी उनके गांव के तालाब में आने के कारण ग्रामीणों की जिन्दगी नरक से बद्तर हो गई है। ग्रामीणाों ने बताया कि गंदे पानी के कारण गांव मंे कई मौतें हो चुकी है और घर-घर बीमारियां पैर पसार चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि गंदे पानी के कारण पेयजल भी दूषित हो गया है और खेती बाड़ी पूरी तरह से उजड़ चुकी है जिससे उनके बच्चें दूसरे प्रदेशों में काम-धंधे के लिए पलायन कर रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या के लिए उन्होंने आंदोलन तक किए लेकिन नेताओं से लेकर अधिकारियों तक सिर्फ आश्वासन मिला और गंदे पानी से निजात की कोई न तो कोशिश हुई और न ही प्रक्रिया का शुभारंभ कराया गया।
बताते है कि ग्रामीणों द्वारा मतदान बहिष्कार के ऐलान के बाद पीठासीन अधिकारी समेत अन्य कर्मियों ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया मगर ग्रामीण टस से मस न हुए। बताते है कि ग्रामीणों को समझाने के लिए दोपहर 12 बजे तक जिले का कोई जिम्मेदार अधिकारी न पहुंच सका लेकिन वहां पहुुंचे उपजिलाधिकारी ने ग्रामीणों से वोट डालने को कहा मगर ग्रामीणों ने मना कर दिया। एसडीएम ने ग्रामीणों से नोटा का प्रयोग करने तक को कहा मगर ग्रामीणों ने सिरे से नकार दिया। बताते है कि दोपहर लगभग एक बजे के करीब चुनाव आयोग के अधिकारी पहुंचे और उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत कर वोट डालने को कहा मगर ग्रामीणों ने मना कर दिया। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनी इस पर वह भी निरूत्तर नजर आए। दोपहर एक बजे तक गांव को कोई भी ग्रामीण मतदान स्थल तक नही पहुंचा था।

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