बिल्सी

भोग विलास की वस्तुओं छोड़ देना ही सच्चा त्याग धर्म है

बिल्सी। नगर के मोहल्ला संख्या दो स्थित श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में मनाए जा रहे दस दिवसीय पर्युषण पर्व का आठवां दिन यहां उत्तम त्याग धर्म के रुप में मनाया गया। यहां सबसे पहले जिनेन्द्र भगवान का जलाभिषेक कर शांतिधारा की गई।

महिला मंडल की सदस्या रेखा जैन ने कहा कि त्याग और दान दोनों बिल्कुल अलग होते हैं। दान कर्म है दान करने से पुण्य का बंध होता है और दानी दान की गई वस्तु राशि आदि के पुनरू प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहता है। वहीं त्याग कर्म नहीं धर्म है। त्याग के उपरांत उस वस्तु राशि अथवा किसी और के प्रति आसक्ति नहीं होती है। त्याग का अर्थ है कि आप माया मोह लोभ कषाय अहंकार आदि का त्याग कर जीवन को मोक्ष पथगामी बनाने का प्रयत्न करें। सतीश चंद्र जैन ने कहा कि जिसके जीवन में विनम्रता और विचारो में सरलता रहती है वही सच्चा त्याग कर सकता है। त्याग की वस्तुओं को छोड़ देना भी त्याग धर्म है। आध्यात्मिक दृष्टि से राग, द्वेष, क्रोध एवं मान आदि विकारों का आत्मा से छूट जाना ही त्याग धर्म है। स्वार्थ और अभिमान का त्याग करके लोगों का हित करने की योग्यता केवल मनुष्य में ही है। सभी मानव जाति एक ही हैं। इनमें भेद नहीं करना चाहिए। हमें सदैव दूसरे की बुराई करने की आदत का त्याग करना चाहिए। सभी प्रकार के भेदभाव का त्याग करके दूसरों का हित करना चाहिए। यही त्याग धर्म की प्रेरणा है। वीरांगना मंडल की ओर से नीरेश जैन के सानिध्य में यहां पासिंग टू पासर प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमे अनंत जैन एव प्रज्ञा जैन अव्वल रही। इस मौके पर मीडिया प्रभारी प्रीत जैन सोनी, प्रशान्त जैन, अनिल जैन सोनी, डॉ आरती जैन, प्रीति जैन, सुनील जैन, मयंक जैन, तरुण जैन, दिव्या जैन, शीतू जैन, नीलम जैन, राखी जैन, सलोनी जैन, इंदु जैन, काजल जैन, प्रतिभा जैन, मोना जैन आदि मौजूद रही।

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