दातागंज

दातागंज में आवासीय भूमि नजूल भूमि में दर्ज होने पर मचा हड़कम्प, नागरिकों ने डीएम के नाम दिया ज्ञापन

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दातागंज। योगी सरकार की भू माफियाओं पर हो रही ताबड़तोड़ कार्यवाई से अवैध कब्जाधारियों में दहशत का माहौल है तो वहीं कुछ बेकसूर लोग इसकी जद में आकर परेशान हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला दातागंज नगर पालिका परिषद् का प्रकाश में आया है जिसकी शिकायत नगर वासियों ने जिलाधिकारी से की है।

दातागंज नगर पालिका परिषद् में दर्ज नजूल भूमि को लेकर  अफरा तफरी का माहौल है। नगरवासियों ने डीएम को दी शिकायत में कहा है कि वह नगर में लम्बे आरसे से रह रहे हैं। नागरिकों का आरोप है कि नगर क्षेत्र की गाटा 147 व 153 को तहसील कर्मचारियों की लापरवाही के चलते नजूल भूमि में दर्ज कर दिया गया है जबकि ये भूमि चकबंदी से पहले और बाद में नजूल समपत्ति दर्ज नहीं रही। आरोप है कि सन 2001 में इस भूमि को नजूल दर्ज किया गया जबकि इस भूमि की चकबंदी से पहले गाटा संख्या 200 थी जो चकबंदी के बाद 147 कर दी गयी। नगरवासियों ने बताया 2007 में भूमि को संशोधित कराने के लिए तहसील दिवस में अर्जी लगाई गयी जिस पर जांच के बाद तत्तकालीन लेखपाल, कानूनगो एवं नायब तहसीलदार ने रिपोर्ट प्रेषित की कि वास्तव में गाटा संख्या 147 जो चकबंदी से पहले 200 थी नजूल संपत्ति नहीं है वहीं गाटा संख्या 153 का खसरा खतौनी में कोई रिकॉर्ड नहीं है बावजूद इसके ये भूमि नजूल संपत्ति दर्ज कर दी गयी जिसके कागजात नगरवासियों ने डीएम को प्रेषित किये हैं। नगरवासियों ने जिलाधिकारी को पत्र सौंपकर मांग की है कि त्रुटिवश नजूल में दर्ज हुई उनकी आवासीय भूमि को नजूल से मुक्त कर उनके साथ न्याय किया जाए। नगरवासियों का कहना है कि उनके पास पक्की रजिस्ट्री व बैनामे हैं। फिलहाल नगर में इस समय नजूल समपत्ति की जांच का काम तेजी चल रहा है। जिससे भयभीत होकर नगरवासियों में दहशत का माहौल है और वो गलत ढंग से दर्ज हुई नजूल भूमि को दुरुस्त कराने के लिए आला अधिकारियों के दरबार में चक्कर काट रहे हैं।

आवासीय भूमि मालिका को डीएम से आशा, नजूल मुक्त होगी उनकी जमीन
गाटा संख्या 147 के निवासी पूरन लाल गुप्ता, धर्मेंद्र गुप्ता, रितेश जौहरी, छोटे लाल, अशरफ अली आदि दर्जनों निवासियों ने बताया कि यह भूमि डॉक्टर वेद प्रकाश गुप्ता की थी जिसमे आम का बाग था। धीरे धीरे इसकी प्लाटिंग होती गयी और आवास बनते गए। सन् 2001 से पहले यह भूमि कभी नजूल में नहीं रही बाद में त्रुटिवश इस भूमि को नजूल में दर्ज कर दिया गया जिसका संशोधन 2007 में करा दिया गया लेकिन अब फिर इस भूमि की जांच की जा रही है जो सरासर गलत है हमारे पास बैमाने हैं और हम जिलाधिकारी से भूमि को नजूल मुक्त करने की मांग करते हैं।

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