उत्तर प्रदेशजनपद बदायूं

बदायूं सांसद संघमित्रा को राजनैतिक रूप से घातक सिद्ध हो सकता हैं दीपक स्वर्णकार का विवाद

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बदायूं। इन दिनों बदायूं सांसद संघमित्रा मौर्य की मुसीबते काफी बढ़ गई है। सांसद को अपनी पत्नी होने का दावा करने वाले दीपक कुमार स्वर्णकार की अर्जी पर लखनऊ की अदालत ने सांसद और उनके पिता सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य समेत छह के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर 20 फरवरी को अदालत में तलब कर लिया है। अदालती आदेश सार्वजनिक होने पर सांसद संघमित्रा मौर्य के राजनैतिक कैरियर पर दाग तो लगा ही है साथ ही उनको भाजपा से टिकिट न मिलने की चर्चाएं व्याप्त हैं। पांच वर्ष पूरे होने जा रहे हैं लेकिन सांसद संघमित्रा ने इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी साध रखी है और अदालत से जमानती वारंट होने के बाद भी वह चुप ही है।

बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य एक बार फिर से बदायूं लोकसभा चुनाव लड़ कर सांसद बनने की तैयारी में पूरे जनपद में भ्रमण करने में लगी हुई है और पार्टी के प्रत्येक कार्यक्रम में वह अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है। लगभग दो दिन पूर्व लखनऊ निवासी पत्रकार दीपक कुमार स्वर्णकार की अर्जी पर वहां की अदालत ने सांसद मौर्य और उनके पिता सपा सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य समेत छह के खिलाफ धोखाधड़ी, मारपीट करने का अभियोग अदालत में चलाया हुआ है। दीपक स्वर्णकार का दावा है कि उसने संघमित्रा मौर्य से वर्ष 2019 में लिव इन में रहने के बाद शादी कर ली थी। दीपक और संघमित्रा की शादी को लेकर सूत्र बताते हैं कि सांसद के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य उनके सांसद बनने से पहले इस शादी को लेकर राजमंद थे लेकिन संघमित्रा के सांसद बनते ही उनके समेत सभी का विचार बदल गया जो दीपक से विवाद की वजह बन गया।

बताते हैं कि वर्ष 2019 के चुनाव में जब संघमित्रा को बदायूं से भाजपा ने सांसद पद का प्रत्याशी बनाया तब संघमित्रा ने दीपक को दरकिनार कर खुद को अविवाहित बताते हुए चुनाव आयोग के समक्ष हल्फनामा दायर किया था। चर्चा हैं कि जब दीपक ने संघमित्रा और स्वामी प्रसाद से कहा कि वह उनकी पत्नी है तब अविवाहित का हल्फनामा क्यों दे रही है इस पर संघमित्रा की ओर से कहा कि वह चुनाव के बाद उसे पति के रूप में घोषित कर देंगी लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद संघमित्रा ने दीपक को नजरअंदाज कर दिया। संघमित्रा के इस रवैया पर दीपक ने लखनऊ की अदालत की शरण ली। दीपक का आरोप हैं कि इसके बाद उसे धमकाया जाने लगा तब उसने संघमित्रा, स्वामी प्रसाद मौर्य समेत छह के खिलाफ अदालत में वाद दायर किया। अदालत ने संघमित्रा का पक्ष रखने के लिए गत माह 5 और 23 जनवरी तथा 5 फरवरी की तारीखे दी मगर कोई भी अदालत नही पहुंचा जिस पर अदालत ने सांसद समेत सभी के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर 20 फरवरी को अदालत में पेश होने का हुक्म सुनाया है।

अदालती फरमान जैसे ही अखबारों की सुर्खिया बना तभी से संघमित्रा क राजनैतिक कैरियर पर भी सवाल उठने शुरू हो गए, चूंकि लोकसभा का चुनाव अति नजदीक है जिसके चलते उनके राजनैतिक कैरियर पर बड़ा असर पड़ सकता है। राजनैतिक स्तर पर हो रही चुनावी चर्चाओं को माने तब सांसद को बदायूं से भाजपा प्रत्याशी बनना आसान नजर नही आ रहा है।

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