उझानी(बदायूं)। नगर के मौहल्ला किलाखेड़ा में मां-बेटा की कुछ घंटों के अंतराल में हुई मौत के बाद बेरहम पिता दोनों के शवों को छोड़ कर घर से भाग निकला। एकत्र हुए मौहल्लावासियों ने मृतका के दिल्ली में रह रहे देवर को सूचना दी तब वह उझानी पहुंचा। शुक्रवार को मृतका के एकमात्र बचे मूक बधिर पुत्र ने चाचा की मदद से अपनी मां और भाई का अंतिम संस्कार किया। इस दौरान जब मां-बेटा की एक साथ अर्थी उठी तब मौजूद लोगों की आंखे नम हो गई।
गुरूवार को मौहल्ला किलाखेड़ा निवासी परषोतम उर्फ भूरे की 52 वर्षीय पत्नी कमलेश देवी की मौत हो गई थी। बताते हैं कि पत्नी की मौत के बाद उसका पति परषोतम पर इसका कोई असर नही हुआ जिसके परिणाम स्वरूप उसकी पत्नी की लाश घर पर कई घंटों रखी रही लेकिन पति उसका अंतिम संस्कार करने को राजी न हुआ। बताते हैं कि घर में रखे मां के शव पर लिपट कर विलाप कर रहे उसके पुत्र दीपक और मूक बधिर कुलदीप में से दोपहर बाद मां की मौत के सदमें में 22 वर्षीय दीपक ने विलाप करते हुए दम तोड़ दिया। मां-बेटा की मौत के बाद परषोत्तम का दिल नही पसीजा और वह घर छोड़ कर बाहर चला गया। बताते हैं कि जब मौहल्लावासियों को मां-बेटा की एक साथ मौत की जानकारी हुई तब वह मौके पर पहुंचे और परषोत्तम को तलाश कर दोनों के अंतिम संस्कार करने को कहा मगर बेरहम पिता ने मां-बेटा के शवों को अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया।
बताते हैं कि पिता के मना करने पर मौहल्लावासियों ने मृतका के दिल्ली रह रहे देवर राकेश को सूचना दी तब वह गुरूवार की देर रात उझानी पहुंचा। बताते हैं कि शुक्रवार को मृतका के एकमात्र बचे मूक बधिर पुत्र कुलदीप ने अपने चाचा राकेश और मौहल्लावासियों की मदद से अपनी मां और भाई का अंतिम संस्कार कछला स्थित शमसान घाट कर पर किया। बेरहम पिता को जिस नागरिक ने सुना जब कर खरी खोटी सुनाई मगर फिर भी वह टस से मस न हुआ। मां की मौत के बाद सदमे में प्राण न्यौछावर करने वाले पुत्र की एक साथ अर्थी उठने और अंतिम संस्कार होने पर मौजूद नागरिकों की आंखे नम हो उठी।