उझानीधर्म संसार

जिम्मेदारों की जबाबदेही और कार्रवाई से अविरल-निर्मल गंगा योजना को मिलेगी गतिः गोविन्दाचार्य

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उझानी(बदायूं)। भारत की आस्था का केन्द्र पवित्र गंगा नदी की धारा को अविरल और निर्मल तभी बनाया जा सकता है जब सरकारें योजना में शामिल जिम्मेदार अधिकारियों की जबाबदेही तय करें और योजना के क्रियान्वयन उचित तरीके से न होने पर दण्डात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाए। यह विचार गंगा संवाद यात्रा निकाल रहे वरिष्ठ गंगा भक्त भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री के एन गोविन्दाचार्य ने उझानी में यात्रा विश्राम के दौरान पत्रकारों के समक्ष वयक्त किए।

श्री गोविन्दाचार्य ने कहा कि अविरल-निर्मल गंगा अनादिकाल से भारत भूमि की पहचान रही है। उन्होंने कहा कि गंगा भारतवासियों के लिए नदी मात्र न होकर आस्था का केन्द्र हैं। उन्होंने कहा कि गंगा की धारा को अविरल बनाने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि नदी में पर्याप्त मात्रा में जल प्रवाहित रहे और दूसरी ओर बाहरी प्रदूषण पर नियंत्रण बना रहे ताकि गंगा की पवित्र धारा प्रदूषित न हो। नमामि गंगे योजना गंगा नदी को पवित्र बनाने में खरी नही उतरी है और न ही पवित्र नदी में गंदे पानी एवं सीवरेज आदि का गिराव न रोके जाने के सवाल पर श्री गोविन्दाचार्य ने कहा कि इस योजना में व्याप्त भ्रष्टचार के चलते गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए धरातल पर ज्यादा काम नही हुआ है।

उन्होंने कहा कि योजना के तहत होने वाले कामों की समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए और योजना में कागजी दिखावे पर जिम्मेदारों की जबादेही और दण्डात्मक कार्रवाई अमल में लानी चाहिए। श्री गोविन्दाचार्य ने कहा कि अब जरूरत गंगा के दोनों किनारों को हरित क्षेत्र में तब्दील किया जाए, नदियों में हर मौसमानुसार न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकारें सिंचाई, पेयजल आदि के लिए नदियों से निकाले जाने वाले जल की अधिकतम सीमा के लिए कानून बनाए। उन्होंने कहा कि नदियों की अपनी जमीन तय कर उसे राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर अतिक्रमण की परिभाषा तय की जाए। उन्होंने कहा कि नदियों में गंदा पानी न गिरे इसके लिए दोनों ओर समांतर रास्ता बनाया जाए। उन्होंने कहा कि एसटीपी की भूमिका की समीक्षा हो और शोधित जल के उपयोग का लेखाजोखा प्रस्तुत किया जाए।

उन्होंने कहा कि वह गंगा संवाद पद यात्रा के माध्यम से गंगा किनारे रहने वाले लोगों से संवाद कर रहे है ताकि उनके भावनात्मक जुड़ाव के साथ साथ जागरूकता पैदा की जा सके। उन्होंने कहा कि यात्रा के समापन पर वह लोगों से किए गए संवादों की समीक्षा करेंगे और इस दौरान मिलने वाली खामियों को सरकार तक पहुंचा कर उसके निदान के लिए प्रयास करेंगे। कई दिग्गज भाजपा नेताओं के हाशिए पर चले जाने के सवाल पर श्री गोविन्दाचार्य ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2000 में भाजपा विचारों पर वैश्विकीकरण हावी होने पर अवकाश ले लिया था उन्हें अब राजनीति से कोई लेना देना नही है और वह सिर्फ गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इस दौरान अवधेश कुमार, किशन शर्मा, संजीव गुप्ता, राहुल शंखधार, शिव कुमार,  बसवराज पाटिल, वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ललिता देवी, निरंजना देवी, निधि देवी, दिनेश तिवारी, वाशुदेवआचार्य,  विवेक त्यागी  जीबकांत झा, मुरार सिंह, अरविंद तिवारी, सागर पाठक, रोनित,प्रिंस शर्मा, प्रभाकर शर्मा, नौहवत, मोहन सिंह, उज्वल झा, सूरज समेत गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

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