जनपद बदायूंधर्म संसार

बसो मेरे नैनन में नंदलाल भजन पर झूमे भक्त, भाव विभोर होकर हुई आंखे नम

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बिसौली(बदायूं)। भक्तमाल कथा में दूसरे दिन भी भक्त शिरोमणि मीराबाई जी की भक्ति का गुणगान किया गया। भक्त रामदास के सारथी बने द्वारिकाधीश। बसो मेरे नैनन में नन्दलाल। इस भजन ने भक्तों की आँखें नम कर दीं।

नगर के रामलीला मैदान में चल रही भक्तमाल कथा के तीसरे दिन बाबा चित्र बिचित्र जी ने मीराबाई जी की बाल भक्ति का ब्याख्यान सुनाया। जब दादू जी तीन साल की मीराबाई जी को भगवान द्वारिकाधीश का दर्शन कराने पैदल चल दिए। रास्ते मे डोकरा नगर आया तो दादू जी ने मीराबाई को वहां विराजे द्वारिकाधीश की कथा सुनाई। दादू जी ने बाल मीराबाई को बताया कि डोकरा के भक्त रामदास हर एकादशी को तुलसी का गमला सिर पर रखकर पैदल द्वारिकाधीश जाते थे। उम्र बड़ी तो जाना मुश्किल हो गया।

कथा वाचक ने कहा कि भक्त रामदास से सपने में द्वारिकाधीश ने कहा कि अब में तेरे साथ डोकरा चलूंगा। भक्त रामदास मंदिर में घुस गए और द्वारिकाधीश के श्रीविग्रह को अपनी लड़िया में बिठा लिया। पुजारियों ने पीछा किया तो स्वयं द्वारिकाधीश उस लड़िया के सारथी बन गए और रामदास जी को पीछे बिठा लिया। इसके बाद तभी से द्वारिकाधीश जी डोकरा में विराजते हैं और उनका दूसरा विग्रह द्वारिकाधीश में है। इसके बाद सन्त गिरिधरदास जी ने अपने गोपाल जी बालरूप मीराबाई को दे दिए, जिन्हें मीराबाई ने पति रूप में मान लिया। मंच से चित्र विचित्र जी ने नाम महात्म्य की चर्चा की।

भक्तमाल कथा में सुरेन्द्रनाथ अग्रवाल एड, पवन गुप्ता, मनोज यादव, अनुपम गुप्ता, रामप्रकाश रामजी, अनिल मिश्र, कुलदीप सिंह, राजीव ठाकुर, आमोद मिश्र, नीरज साईं, आनन्द प्रकाश गुप्ता ऐड, ओमनन्दन वार्ष्णेय, रत्नेश गर्ग आदि भक्तगण मौजूद रहे।

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