जनपद बदायूं

तानसेन के दीपक राग का प्रसंग सुन भक्ति की रसधार में डूबे श्रोता

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बिसौली(बदायूं) । युगल सरकार के दास श्रीहरि दास जी की भक्ति की रसधार ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। तानसेन के दीपक राग का भी प्रसंग सुनाया गया। जय श्रीहरिदास की गूंज से पूरा पांडाल निधिवन बन गया। हर तरफ जय श्री राधे की जय जयकार हुई।

रामलीला मैदान में श्री सेवादार परिवार और राधारानी सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही भक्तमाल कथा के छठे दिन राधेश्याम के अनन्य प्रेमी श्रीहरि दास जी के भक्ति रूप की महिमा सुनाई गई। बाबा चित्र विचित्र जी महाराज ने उनका गुणगान करते हुए कहा कि श्रीहरिदास जी के दर्शन पाने के लिए राजा महाराज पंक्तिबद्ध होकर निधिवन के बाहर प्रतीक्षा करते थे।

उन्होंने वृन्दावन की महिमा सुनाते हुए कहा कि यदि कभी वृन्दावन जाओ तो व्रजरज का तिलक क्ररो। उसे अपने अंगों पर लगाओ। लता पताओं का आश्रय लो। रसिक सन्तों का सानिध्य प्राप्त करो। युगल सरकार के प्रेम रूपी जल से प्रवाहित जमुना जी के समीप बैठो। जल का पान करो।

कथा वाचक चित्र विचित्र ने तानसेन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि राजा रामवघेल जी ने तानसेन को दीपक राग गाने को कहा। तानसेन के संगीत के प्रभाव से दीपक जल गए। लेकिन तानसेन का शरीर जलने लगा। कहीं उपचार न होने पर तानसेन ओरछा राज्य में पहुंचे तो एक कन्या ने मेघराग गाया। उस वर्षा ने तानसेन का ताप हर लिया। इसी कन्या ने तानसेन से कहा कि वह श्रीहरिदास जी को अपना गुरु बनाए। श्री हरिदास जी ने उन्हें संगीत में पारंगत होने का आशीर्वाद दिया। इसी आशीर्वाद के बाद तानसेन को राग सिद्ध हो गए। तानसेन अपने महाराज अकबर को गुरू श्रीहरिदास जी के पास लाए। उन्होंने ने भी श्रीहरिदास जी की कृपा पाई।

कथा श्रवण करने वालों में एसडीएम ज्योति शर्मा, मनोज यादव, महेंद्र प्रताप सिंह, राजेश वार्ष्णेय, वीर सिंह, अमरीश शर्मा, लखन शर्मा, अजीत सिंह, विपनेश मिश्र, कन्हैया वार्ष्णेय, प्रवीन अग्रवाल, ज्योति शर्मा, सुनीति मिश्र आदि भक्तगण मौजूद रहे।

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