बिल्सी,(बदायूं)। नगर के रामलीला मैदान पर चल रही रामलीला के चौथे दिन मुनि विश्वा मित्र आगमन और ताड़का बध की लीला का मंचन किया गया। लीला में मुनि विश्वामित्र वन में राक्षसों के आतंक की चिंता लिए राजा दशरथ के पास पहुंचते हैं। राजा दशरथ मुनि विश्वामित्र से आगमन का कारण पूछते हैं तो मुनि विश्वामित्र कहते हैं कि राजन असुर समूह मुझे बहुत सताते हैं। इसलिए मैं आपसे कुछ मांगने आया हूं।
विश्वामित्र कहते हैं कि राक्षसों से रक्षा करने के लिए उन्हें श्री राम और लक्ष्मण चाहिए जिससे वह राक्षसों का संहार कर देंगे और ऋषि मुनि सुरक्षित हो जावेंगे। उनकी बातों को सुनकर राजा दशरथ व्याकुल हो जाते हैं और बार.बार अनुरोध करते हैं कि श्रीराम और लक्ष्मण उनको बहुत अधिक प्रिय हैं। इन्हें मैं कैसे दे दूं। अभी राम लक्ष्मण किशोर बालक हैं। ये कैसे बड़े.बड़े राक्षस से युद्ध करेंगें। राजगुरु वशिष्ठ राजा दशरथ को सभी प्रकार से समझाते हैं और उनका मन का संशय दूर करते हैं। तब राजा दशरथ आशीर्वाद देकर श्रीराम लक्ष्मण को मुनि विश्वामित्र को सौंप देते हैं। मुनि के साथ लक्ष्मण सहित श्रीराम वन की ओर प्रस्थान करते हैं वन में जाते हुए ताड़का नाम की भयंकर राक्षसी का वध करके और मारीच को एक साधारण बाण से सौ योजन दूर फेंकते हैं। एक बाण से सुबाहु को भस्म करते हैं। इसके तत्पश्चात भगवान राम देवी अहिल्या का उद्धार करते हैं।