उझानी

गलन भरी ठंड से कांपा जनमानस, अलाव से ताप कर गर्माहट लाने की कोशिश में हैं नागरिक, बेसाहराओं पर मुसीबत

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उझानी,(बदायूं)। मकर संक्रांति से ही गलन भरी ठंड अपना कहर बरपा रही है। तीसरे दिन भी गलन भरी ठंड से जन मानस कांप उठा और खुद को ठंड के प्रकोप से बचाने के लिए अलाव से ताप गर्माहट लाने की कोशिश में लगा हुआ है वही खुलेआसमान के नीचे रह रहे बेघरों और बेसाहराओं को कहर बरपाती ठंड मुसीबत बन कर खड़ी हो गई है और इन लोगों को ठंड से बचाने के लिए न तो सरकारी इंतजाम है और न ही समाजसेवी संस्था आगे आना चाह रही हैं।

गत 14 जनवरी से ही ठंड ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया था और तीन दिन में ठंड का असर अपने चरम पर पहुंच गया। गलन भरी ठंड होने के कारण क्या गरीब, क्या अमीर और मध्य वर्गीय सबके सब कांप उठे और ठंड से बचने के लिए अपने अपने तरीकों को आजमानें लगे। सबसे ज्यादा गरीब एवं मध्य वर्गीय जन मानस आग जला कर अलाव पर तापता नजर आ रहा है ताकि ठंड से पूरी तरह से बचा जा सके। नगर में जगह जगह जल रहे अलावों पर राह चलते नागरिक और ग्रामीण भी हाथ सेंकके बैठ जाते है ताकि वह दूर से चल ठंड से बेहाल होने से बच सके। दूसरी ओर अमीर वर्ग इलैक्ट्रानिक माध्यमों से अपना व अपने परिवार का ठंड से बचाव करने में लगा हुआ है। ठंड के प्रकोप के चलते बाजारों में सूनसान है इससे सर्वाधिक परेशानी दैनिक भोगी मजदूरों को हो रही है जिन्हें काम न के बराबर मिल रहा है। गलन भरी कड़ाके की ठंड में सर्वाधिक मुसीबत खुले आसमान के नीचे रह रहे बेघरों और बेसाहराओं को हो रही है। इन लोगों को ठंड से बचाने के लिए न तो सरकारी इंतजाम पर्याप्त है और न ही समाज सेवा में दम भरने वाली संस्थाएं बेघर और बेसाहराओं को ठंड से बचाने का प्रयास कर रही हैं। ठंड के प्रकोप के चलते बुखार, सर्दी, खांसी समेत अन्य मौसमी बीमारियों के अलावा महामारी कोरोना का प्रकोप तेजी से जिले में फैल रहा है जिससे नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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