उत्तर प्रदेशजनपद बदायूं

पूस-माह के चिल्ला जाड़े वाली कहावत हुई चरितार्थ, ठंड से सहम गई जिन्दगियां, शिमला-कुल्लू बना बदायूं जिला

बदायूं। बुजुर्गो द्वारा महसूस कर बनाई गई कहावत पूस-माह के चिल्ला जाड़े वर्तमान में बदायूं जिले समेत आसपास के जिलों में चरितार्थ होती नजर आ रही है। मंगलवार और बुधवार को घने कोहरे की चादर के बीच चल रही शीतलहर ने पुस के जाड़ों की याद दिला दी है। वर्तमान मे पड़ रही ठंड से जिन्दगियां सहम कर रह गई है। ठंड की स्थिति यह है कि गर्म कपड़ों के अलावा आग तपना भी ठंड के असर को कम नही कर पा रहा है। कड़ाके की ठंड से बेघर-बेसाहरा और पशु पक्षी बेहाल है और वह ईश्वर से प्रार्थना कर रहे होंगे कि अब ईश्वर का ही साहरा है वह ही ठंड के प्रकोप को कम कर सकतें हैं।

गत वर्ष 26 दिसम्बर से पुस माह का शुभारंभ हुआ था। बदायूं जिले में पूस के प्रथम दिन से ही ठंड का जो मौसम घने कोहरे और शीतलहर के साथ शुरू हुआ वह वर्ष 2024 के प्रथम माह 17 जनवरी तक जारी है और अगले कुछ दिनों तक ठंड से कोई राहत मिलती नजर नही आ रही है। लगभग 24 दिन होने जा रहे हैं नागरिकों को सूर्य नारायण के ऐसे दर्शन नही हुए हैं जो उनकी तपिस पाकर ठंड से अपना बचाब कर सके। हालात यह हो गए हैं कि ठंड का प्रकोप कम होने की बजाय और बढ़ता जा रहा है।

पिछले कई दिनों से आधी रात के बाद 4 डिग्री सेल्सियस पारा हो जाता है और सुबह होने पर यह 6 तक पहुंच जाता है जिससे हाडकांप ठंड का सामना नागरिकों को करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी गरीबों और मध्य वर्गीय उन नागरिकों को हो रही है जिनके आमदनी के साधन बहुत ही कम है और वह जैसे तैसे अपना गुजरा चला रहे है। दूसरी ओर बेघर और बेसाहराओं को ठंड भरे दिन और शीतलहर बड़ी परेशानी का सबब बने हुए हैं। प्रशासनिक स्तर पर बेघर और बेसाहराओं के लिए किए जा रहे प्रयास ऊंट के मुंह मंे जीरा साबित हो रहे हैं। सम्पन्न साधन लोग भौतिक सुविधाओं का लाभ लेकर ठंड से बचाव कर लेते हैं मगर गरीब कहां जाए यह प्रश्न विचारणीय बना हुआ है। नागरिकों का कहना हैं कि उन्होंने शिमला और कुल्लू के बारे में सिर्फ सुना ही है लेकिन लगता हैं कि इन दिनों बदायूं जिला शिमला और कुल्लू मनाली बन गया है।

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