जनपद बदायूं

रफ्तार और परिवहन नियमों को नजरअंदाज करने से बढ़ रहे हैं हादसे, शासन-प्रशासन स्तर पर नही कराया जा रहा है नियमों का अनुपालन

बदायूं। परिवहन नियमों को नजरअंदाज कर फर्राटे भर रही कारें, बाइकों और उस पर क्षमता से अधिक सवार लोगों की मनमानी अब भारी पड़ने लगी है। रफ्तार के चलते होने वाले हादसों में लोगों विशेषकर युवा पीढ़ी अपनी जान से हाथ धो रही है। पूरे जनपद में लगातार हो रहे हादसों और उससे बड़ी संख्या में होने वाली जनक्षति के बाबजूद शासन प्रशासन स्तर पर परिवहन नियमों का अनुपालन कराने के लिए लगातार लाहपरवाही बरती जा रही है।
पिछले कुछ दिनों से बदायूं जनपद में सड़क हादसे लगातार बढ़ते जा रहे है। इन हादसों में सर्वाधिक घटनाएं कार व बाइक सवारों के साथ हो रही हैं। हादसों के लिए रफ्तार का कहर प्रमुख रूप से माना जा रहा है। आज की युवा पीड़ी बाइक पर सवार होेकर यह भूल जाती है कि जान है तो जहान है और फिर बाइक को परिवहन के सभी नियमों को ताक पर रख कर जो फर्राटा भरा जाता है वह सीधे मौत के मुंह में ही जाकर रूकता है। हाइवे समेत अन्य मार्गो पर तेज गति की बाइकों को चालक नियंत्रण नही कर पाता है और वह सीधेतौर पर हादसे का शिकार होकर अपनी जान गवां देता है। कई हादसों में एक बाइक पर चार से पांच लोग तक सवार रहते है जो हादसे का कारण बन जाते हैं। भागमभाग की आपाधापी में हो रहे हादसों में सर्वाधिक जान और माल का नुकसान युवा पीढ़ी को ही भुगतना पड़ रहा है। शुक्रवार की शाम उझानी क्षेत्र के हाइवे स्थित बितराई मोड़ पर एक बाइक पर सवार चार युवकों में से तीन युवक मौत का शिकार बने हो चाहे शनिवार को बदायूं में दो अलग – अलग स्थानों पर अज्ञात वाहनों से रौंदे जाने पर दो युवकों की मौत हुई हो। इस तरह के दर्दनाक हादसे निश्चित रूप से जनमानस को झकझोर देते है लेकिन इसके पीछे युवकों की मनमानी ही भारी पड़ती नजर आती है। ऐसा नही है कि फर्राटे को रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाएं गए नियम कानून नही है मगर चालक इन नियमों को मानता नही है। शासन लगातार सड़क हादसे रोकने के लिए तमाम योजनाएं एवं जनता को जागरूक करने का अभियान चला रहा है मगर प्रशासनिक स्तर पर उतनी ही बड़ी लाहपरवाही देखने को मिलती है। परिवहन निगम के अधिकारी और पुलिस परिवहन नियमों को धरातल पर उतारने के बजाय कागजी घोड़ा दौड़ना ज्यादा पसंद करते है यही मुख्य कारण है कि कार, बाइक, बड़े वाहन चालक नियम कानूनों कोे धता बता कर हादसे दर हादसे का कारण बनते जा रहे है। दूसरा बड़ा मुख्य कारण यह भी है कि अगर पुलिस व परिवहन अधिकारी सड़क पर उतर कर नियमों का पालन कराने का प्रयास करते है तोे गंदी राजनीति आड़े आ जाती है तब मजबूरन फर्राटे भरने वालो को पुलिस समेत अन्य अधिकारी नजर अंदाज कर देते है जबकि सही तरीके से नियमों का पालन कर रहे चालकों पर उनकी गाज गिर जाती है। वर्तमान समय में सड़क यातायात में नियमों का पालन कराने के लिए बड़ी सख्ती की जरूरत है तभी लगातार हो रहे हादसों को रोेका जा सकता है।

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