जनपद बदायूं

इलाहाबाद एचसी की अवमानना बदायूं सीएमओ को पड़ी भारी, सीजेएम कोर्ट में किया सरेंडर, जमानत पर रिहा

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बदायूं। भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियमों का पालन न करने पर स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची अभ्यर्थी की रिट पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बदायूं सीएमओ से जबाब तलब किया मगर सीएमओ ने जबाब देने के बजाय कोर्ट की अवमानना करते रहे। एचसी के निर्देश पर सीजेएम कोर्ट ने जब सीएमओ की गिरफ्तारी के आदेश दिए तब वह कोर्ट पहुंचे और खुद को सरेंडर कर दिया। कई घंटों कोर्ट की हिरासत में रहने के बाद कोर्ट में जमानत याचिका दी गई जिस पर उन्हें देर शाम रिहा कर दिया गया।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा. प्रदीप वार्ष्णेय वार्ष्णेय द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों की लगातार की जा रही अवमानना के चलते हाईकोर्ट के निर्देश के उपरांत सीजेएम नवनीत कुमार भारती ने सीएमओ की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर एसएसपी को पांच सितम्बर तक उन्हें अदालत में पेश करने का आदेश दिया था। अदालत के इस आदेश की जानकारी जब सीएमओ को हुई तब उनके होश उड़ गए और उन्होंने शुक्रवार को सीजेएम की अदालत में पहुंच कर खुद का सरेंडर कर दिया जिस पर कोर्ट ने उन्हें हिरासत में ले लिया। बताते है कि कई घंटों हिरासत में रहने के बाद उनके अधिवक्ता ने अदालत में जमानत याचिका दाखिल की जिस पर सुनवाई करते हुए सीजेएम ने 25-25 हजार के दो मुचलकों पर रिहा करने के आदेश दिए तब कही जाकर सीएमओ रिहा हो सके और उन्होंने राहत की सांस ली।
ज्ञात रहे कि कुछ महीने पहले एएनएम की नियुक्ति के दौरान आरती यादव को आरक्षण के आधार पर भर्ती नहीं किया गया था। उनकी नियुक्ति न होने पर वह स्वास्थ्य विभाग की ओर से की गई भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचीं और रिट दायर की। हाईकोर्ट में आरती यादव बनाम स्टेट आफ यूपी पर सुनवाई शुरू हुई तो हाईकोर्ट ने सीएमओ को हाईकोर्ट में पेश होने के आदेश दिए। मगर, सीएमओ अपना जवाब दाखिल करने के लिए हाईकोर्ट नहीं पहुंचे। इसके बाद हाईकोर्ट ने सीएमओ के खिलाफ वारंट जारी किए इसके बाद भी सीएमओ वहां हाजिर नहीं हुए थे।

बाबू के कारनामों की सीएमओ को भुगतनी पड़ी सजा…?
सीएमओ कार्यालय के कुछ भरोसेमंद लोगों का दावा है कि कुछ महीने पहले मेरठ से तबादले पर आए बाबू ने ही एएनएम भर्ती प्रक्रिया में खेल किया था। उसी बाबू के पास कोर्ट के मामले देखने का चार्ज है। ऐसे में हाईकोर्ट से सम्मन और वारंट सीएमओ के खिलाफ आते रहे, मगर बाबू उन आदेशों को दबाता रहा। उसने सीएमओ की ओर से कोई जवाब नहीं भेजा इसी वजह से सीएमओ को कई घंटे कस्टडी में रहना पड़ा।

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