उझानी(बदायूं)। बदायूं जिले की राजनीति में केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने नया इतिहास रच डाला है। श्री वर्मा के लगातार दूसरी बार केन्द्रीय मंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही वह बदायूं के पहले नेता बन गए है जो सांसद बनने के बाद मंत्री भी बने है। कभी प्रदेश की राजनीति की धुरी रही उझानी नगरी अब केन्द्रीय राजनीति की धुरी बन गई है। बदायूं में 40 साल से कोई भी स्थानीय नेता सांसद या राज्यसभा के लिए नही चुना गया है।
बदायूं जिले के उझानी क्षेत्र के गांव ज्योरा पारवारा के मूल निवासी बीएल वर्मा उझानी नगर के स्थायी निवासी है। श्री वर्मा ने राजनीति में आने के बाद अपने लोधे समाज से आने वाले भाजपा के दिग्गज नेता दिवंगत पूर्व सीएम कल्याण सिंह का जब से दामन थामा तब से उन्होंने राजनीति में पीछे मुड़ कर नही देखा और सीढ़ी दर सीढ़़ी आगे बढ़ते चले गए। उन्होंने भाजपा में रह कर संगठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई जिसके चलते पहले श्री वर्मा को ब्रज क्षेत्र भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया इसके बाद उन्हें भाजपा का प्रादेशिक उपाध्यक्ष बनाया गया। श्री वर्मा योगी सरकार में सिड़कों के अध्यक्ष के रूप में दर्जा राज्यमंत्री बने। भाजपा ने श्री वर्मा से दर्जा राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दिला कर वर्ष 2020 में राज्यसभा के लिए यूपी से भेज दिया।
राज्यसभा का सदस्य बनने के कुछ समय बाद ही श्री वर्मा को पीएम मोदी ने ओबीसी वर्ग का प्रभावशाली नेता मानते हुए अपने मंत्री मंडल में स्थान देकर सहकारिता राज्यमंत्री के पद पर शुशोभित किया और अब पीएम मोदी की तीसरी बार की सरकार में पुनः केन्द्रीय राज्यमंत्री के पद पर शपथ लेने वाले बदायूं के इकलौते नेता बन गए है। बदायूं जिले की राजनीति की बात करते तब वर्ष 1980 के दशक में बदायूं के असरार अहमद कांग्रेस से सांसद बने थे लेकिन इसके बाद बदायूं का स्थानीय नेता सांसद नही बन सका और न ही कोई राज्यसभा के लिए चुना गया। 80 के बाद से आए सभी बाहरी प्रत्याशी सांसद बन कर बदायूं का प्रतिनिधित्व करते रहे। केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा ही बदायूं जिले के एक मात्र स्थानीय नेता है जो राज्यसभा के लिए चुने गए और दो बार केन्द्र में मंत्री बने है। श्री वर्मा ने बदायूं की राजनीति में एक तरह से इतिहास रच दिया है।
श्री वर्मा के इतिहास रचने के साथ ही अब उझानी नगर का दखल केन्द्र की राजनीति में हो गया है और पूरे देश में उझानी का नाम रोशन हो रहा है। उझानी नगर का परचम प्रदेश की राजनीति में कई दशकों तक फहराता रहा। यहां से 80 के दशक में सबसे पहले फायर ब्रांड नेता के रूप में श्री कृष्ण गोयल का दबदबा प्रदेश की कांग्रेस सरकार के दौर में था और एक बार वह सीएम बनने-बनते रह गए। इसके बाद इसी दशक में श्रीमती प्रमिला भदवार मेहरा विधायक और मंत्री बनी और उनका भी परचम लहराता रहा। 90 के दशक में गठबंधन की सरकारों में उझानी नगर का कोई भी व्यक्ति विधायक न बन सका जिससे प्रदेश की राजनीति में उझानी नगर का दखल कम होता गया लेकिन वर्ष 2002 में उझानी निवासी उधोगपति विमल कृष्ण अग्रवाल ने बसपा से बदायूं सदर से विधायकी का चुनाव जीता और फिर उझानी का परचम लहरा दिया। श्री अग्रवाल ने वर्ष 2003 में बसपा का दामन छोड सपा का दामन थाम लिया और फिर सपा में अल्प समय के लिए वित्त राज्यमंत्री बने। श्री अग्रवाल को सीएम मुलायम सिंह यादव ने वित्त मंत्री पद से हटा कर दर्जा राज्यमंत्री बना दिया था। श्री अग्रवाल वर्ष 2007 से 2017 तक अपने सभी चुनाव हार गए जिससे उझानी का दखल यूपी की राजनीति में लगभग समाप्त हो गया लेकिन वर्ष 2020 में बीएल वर्मा के राज्यसभा सदस्य चुने जाने पर उझानी की राजनीति की दिशा और दशा बदल गई और उझानी का दखल यूपी के बजाय केन्द्रीय राजनीति में हो गया।