उझानी,(बदायूं)। होली के त्यौहार पर आटे से लेकर खाद्य तेलों और खाद्य पदार्थो में अचानक आई तेजी ने आम आदमी के बजट को पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया है। आम आदमी होली के मुख्य पर्व की जरूरतों को पूरा करने के लिए मशक्कत करते नजर आ रहा है। बाजारों की स्थिति यह है कि खाद्य तेल और अन्य पदार्थ एमआरपी प्रिन्ट रेट से ऊपर बिक रहे है। अचानक आई महंगाई और ओवर रेट बिक रहे खाद्य तेलों को नियंत्रण करने में प्रशासन पूरी तरह से नाकाम रहा है जिससे आम जनता त्राहि-त्राहि कर उठी है।
होली का मुख्य पर्व नजदीक आते ही महंगाई की ऐसी मार हुई कि गरीब और मध्य वर्गीय लोग बेहद परेशान हो गए हैं। महंगाई की मार झेल रहे लोग होली जैसे पर्व मनाने के लिए अपने खर्चो में कटौती कर रहे हैं इसके बाद भी नागरिकों का बजट गड़बड़ा रहा है। लगभग एक हप्ता पहले अचानक गेंहू के दामों मंे आई तेजी से आमतौर पर 20 से 22 रुपया प्रतिकिलो बिकने वाला आटा 25 से 28 रुपया प्रति किलो बिकने लगा है। आटे के साथ ही सब्जियों का राजा आलू समेत अन्य सभी सब्जी ऊंचे दामों पर बिक रही है जिससे लोग अपने परिवार का जीवन यापन करने के लिए मशक्कत करते देखे जा रहे हैं। आम आदमी के परिवारों में काम आने वाला रिफायंड आयल पर 40 प्रतिशत तक दाम बढ़ गए हैं। बाजारों मंे लोग रिफायंड आयल की एक लीटर की थैली 130 से लेकर 140 रुपया तक की खरीदते थे उसके दाम अब 200 प्रति लीटर तक जा पहुंचे हैं। बाजारों की स्थिति यह है कि रिफायंड आयल को बड़े दुकानदार डिब्बें या टीन पर पड़े एमआरपी प्रिंट रेट से कई गुना अधिक दामों पर बेंच कर वारे-न्यारे करने में लगे हुए हैं। खाद्य तेलों में अचानक आई तेजी के चलते होली पर बिकने वाले खाद्य पदार्थो मंे तेजी आ गई है जिससे लोग बुरी तरह से परेशान हो गए हैं। महंगाई की मार से दालें आदि भी प्रभावित हो रही है। होली पर बिकने वाले कचरी, पापड़, चिप्स व अन्य पदार्थो में भी आई तेजी आम आदमी के बजट को प्रभावित करने मंे लगी हुई है। नागरिकों का कहना है कि बाजारों की महंगाई को प्रशासन काबू कर सकता है लेकिन चुनावों के मद्देनजर प्रशासन के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है जिससे महंगाई निरंतर बढ़ती जा रही है।
बड़े और प्रभावशाली दुकानदारों पर है खाद्य तेलों का स्टाक जमा, ऊंचे दामों पर बेंच कर कमा रहे हैं बड़ा मुनाफा
उझानी। यूक्रेन और रूस के बीच एक पखबाड़ा पूर्व शुरू हुए युद्ध से खाद्य तेलों विशेषकर रिफायंड आयल में तेजी आने की संभावना बन गई थी जिसे बड़े और प्रभावशाली दुकानदारों ने भांप लिया और उझानी जैसे छोटे से कस्बें के दुकानदारों ने तेजी आने से पूर्व बड़ा स्टाक जमा कर लिया जिसे अब वह प्रिंट रेट से ऊपर बेंच कर वारे न्यारे करने में लगे हुए है और जिम्मेदार अधिकारी चुनाव की थकान उतारने में लगे हुए है जिससे रिफायंड आदि में लगातार तेजी बनती जा रही है।