बिल्सी,(बदायूं)। तहसील क्षेत्र के गांव बांस बरोलिया में स्थित ऋषि आश्रम शुभ सेवा संस्थान के तत्वावधान वृध्दाश्रम पर बीते दिन शुरु हुए श्री लक्ष्मी नारायन महायज्ञ एवं संगीतमय श्रीमदभागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन मध्यप्रदेश के शिवपुरी से पधारे आचार्य दीपक शास्त्री ने कहा कि इस संसार में भगवान कृष्ण ही सृष्टि का सृजन, पालन और संहार सब वही करते हैं। भगवान के चरणों में जितना समय बीत जाए उतना अच्छा है। इस संसार में एक.एक पल बहुत कीमती है। वो बीत गया तो बीत गया। इसलिए जीवन को व्यर्थ में बर्बाद नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भगवान के द्वारा प्रदान किए गए जीवन को भगवान के साथ और भगवान के सत्संग में ही व्यतीत करनी चाहिए। भागवत प्रश्न से प्रारंभ होती है और पहला ही प्रश्न है कि कलयुग के प्राणी का कल्याण कैसे होगा। इसमें सतयुग, त्रेता और द्वापर युग की चर्चा ही नहीं की गई है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि बार.बार कलयुग के ही कल्याण की चर्चा क्यों की जाती है अन्य किसी की क्यों नहीं। इसके कई कारण हैं जैसे अल्प आयु, भाग्यहीन और रोगी। इसलिए इस संसार में जो भगवान का भजन ना कर सके वो सबसे बड़ा भाग्यहीन है। भगवान इस धरती पर बार.बार इसलिए आते हैं ताकि हम कलयुग में उनकी कथाओं में आनंद ले सकें और कथाओं के माध्यम से अपना चित्त शुद्ध कर सकें। भागवत कथा चुंबक की भांति कार्य करती है जो मनुष्य के मन को अपनी ओर खींचती है। इसके माध्यम से हमारा मन भगवान से लग जाता है। आचार्य ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है। महाराज ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखाए तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है जब धन का अहंकार हो जाएए तो भागवत सुन लोए अहंकार दूर हो जाएगा। व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनना चाहिए।