बदायूं। उत्तर प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार के गंभीर प्रयासों का ही परिणाम है कि प्रदेश में राष्ट्रीय पशु बाघ की संख्या बढ़ रही है। इस प्रकार इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम को सरकार ने सार्थक सिद्ध कर दिया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 की बाघ गणना के अनुसार प्रदेश में 117 बाघ थे जबकि वर्ष 2018 की बाघ गणना में यही संख्या बढ़कर 173 हो गई है।
प्रदेश में राष्ट्रीय पशु बाघ एवं उसके प्राकृतवास संरक्षण हेतु तीन टाइगर रिजर्व.दुधवा अमानगढ़ तथा पीलीभीत टाइगर रिजर्व स्थित है। इनमें भारत सरकार के सहयोग से प्रोजेक्ट टाइगर संचालित है। प्रदेश में वन एवं वन्यजीव संरक्षण, संवर्धन हेतु चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का ही परिणाम है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व में लक्ष्य के अन्तर्गत वनों में पाये जाने वाले बाघों की संख्या वर्ष 2022 तक दोगुनी करने की वैश्विक प्रतिबद्धता 4 वर्ष पूर्व ही प्राप्त की जा चुकी है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में वर्ष 2014 में 25 बाघ थे जबकि वर्ष 2018 में यही संख्या दोगुने से अधिक 65 दर्ज की गई है। इस उपलब्धि के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व को बाघ संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं को अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में एक समारोह में प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व को अलंकृत किया गया है। जो दर्शाता है कि प्रदेश सरकार द्वारा सम्बंधित संरक्षित क्षेत्र का प्रबन्धन बेहतर तरीके से किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अन्तर्राष्ट्रीय प्रमाणन की यह प्रकिया कई कसौटियों पर परखी जाती है। पेट्रोलिंग कर दुधवा टाइगर रिजर्व को देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा पेट्रोलिंग, अपराध अनुश्रवण एवं नियंत्रण के लिए तकनीकी का प्रभावी प्रयोग किया गया है। वन्य जीव प्रबन्धन हेतु प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गयी है। परिणामतः आज प्रदेश में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो पायी है। दुधवा टाइगर रिजर्व एम.स्ट्राईप्स ऐप का उपयोग करते हुए वन्य क्षेत्रों में प्रभावी गश्त करने के मामले में देश में अव्वल रहा है। यह ऐप राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण भारत सरकार एवं भारतीय वन्य जीव संस्थानए देहरादून द्वारा तैयार किया गया है। यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार वन तथा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु दृढ़संकल्पित है एवं इस के गम्भीरता से कार्य भी कर रही है। बाघ का महत्व केवल इसलिए नहीं है कि यह हमारा राष्ट्रीय पशु है बल्कि बाघ समूचे वन पारिस्थितिकी तंत्र का सर्वोच्च प्राणी है। वन खाद्य श्रृंखला के पिरामिड में यह शीर्ष पर स्थित है। पारिस्थितिकी संतुलन में भी इसकी महती भूमिका है। अतः उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार के पर्यावरण संरक्षण के लिए निरन्तर किए जा रहे प्रयासों से जैव विविधता संरक्षण, बाघ संरक्षण के साथ ही हित ग्राहियों के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक उन्नयन में योगदान मिल रहा है। प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या अन्तर.विभागीय व अन्तर्राष्ट्रीय समन्वय को भी दर्शाती है। प्रदेश सरकार के बाघ संरक्षण के प्रयासों से बाघों की संख्या में निरन्तर वृद्धि प्रदेश के लिए एक उपलब्धि है और गर्व का विषय है। राज्य सरकार अपने राष्ट्रीय पशु बाघ एवं उसके प्राकृतवास के संरक्षण हेतु सतत प्रयत्नशील है। प्रदेश सरकार द्वारा बाघ संरक्षण एवं लक्षित प्रजातियों के संरक्षण हेतु उन्नत प्राकृतवास सम्वर्द्धनए प्रभावी प्रवर्तन तथा शिकार रोधी उपायोंए वन्य संसाधनों की वृद्धि के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु उनके साथ प्रभावी सामंजस्य स्थापित किया जा रहा है। सरकार के इन्हीं सम्मिलित प्रयासों का परिणाम है कि आज प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ रही है। बाघ प्रकृति का एक अनमोल उपहार है और उनके अस्तित्व की रक्षा एवं संख्या वृद्धि करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा संवेदनशीलता के साथ किए जा रहे प्रयास सराहनीय है।
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अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम को साकार कर रहा है प्रदेश, लगातार बढ़ रही है बाघों की संख्या
Pawan VermaAugust 2, 2021
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