- या फिर हर बार की तरह आएंगा पैराशूट प्रत्याशी
बदायूं। वर्तमान समय में भाजपा ने दमखम के साथ लोकसभा चुनाव के लिए ताल ठोक रखी है। पीएम मोदी अबकी बार 400 पार का नारा हर सभा में बुलंद कर रहे है वही दूसरी ओर लोकसभा चुनाव लड़ने का मंसूबा पाले नेता मोदी की गारंटी को अपने क्षेत्र में भुनाने में लगे हुए है। मोदी की गारंटी से बदायूं लोकसभा क्षेत्र भी अछूता नही है यहां मोदी की गारंटी वाले होर्डिंग नजर आने लगे है केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा और सांसद संघमित्रा के बड़े-बड़े फोटो के साथ लगभग पूरे लोकसभा क्षेत्र में लगे हुए है लेकिन अभी तक यह साफ नही हो सका है कि मोदी की गारंटी वाला प्रत्याशी कौन होगा? केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा या फिर सांसद संघमित्रा मौर्य? वही चर्चा हैं कि बदायूं से एक बार फिर से पैराशूट प्रत्याशी को उतारा जा सकता है ताकि बदायूं से जीत का परचम लहराया जा सके।
वर्तमान मंे बदायूं लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है और यहां से संघमित्रा मौर्य सांसद है। भाजपा के लिए बदायूं लोकसभा सीट भी काफी महत्वपूर्ण है। संघमित्रा मौर्य से पहले बदायूं लोकसभा सीट पर ज्यादातर सपा का कब्जा रहा है ऐसी स्थिति में भाजपा का नेतृत्व नही चाहेंगा कि बदायूं उसके हाथ से चली जाए। लोकसभा चुनाव नजदीक देख कर भाजपा ने अपनी जनकल्याण वाली योजनाओं का प्रचार प्रसार करने और लाभार्थियों तक पहुंचने के अलावा रात्रि प्रवास जैसे कार्यक्रम संचालित किए हुए है। बदायूं लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान सांसद संघमित्रा मौर्य के अलावा केन्द्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने भी अपनी लोकसभा क्षेत्र में सक्रियता को बढ़ा दिया है और वह जन-जन तक पहुंच रहे है। बदायूं लोकसभा क्षेत्र में दोनों नेताओं की सक्रियता के चलते चर्चाएं तेज होने लगी है कि इन दोनों में से किए एक को टिकिट मिल सकता है। इसके साथ यह भी चर्चाएं हैं कि अगर दोनों नेता भाजपा के आशाओं पर खरे नही उतरते नजर आएं तब ऐसी स्थिति में बदायूं लोकसभा सीट से भाजपा किसी पैराशूट प्रत्याशी को उतार कर अपनी जीत पक्की कर सकती है।
बदायूं लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान सांसद संघमित्रा मौर्य का ऐसा कोई विकास कार्य या जनता से जुड़ा कार्य नजर नही आता है जिसकी दम पर वह लोकसभा चुनाव की वैतरणी में पार हो सके वही दूसरी ओर एकाएक राज्यसभा सदस्य बनाएं जाने के बाद पीएम मोदी ने उन्हें केन्द्र में मंत्री पद तोफाह में देकर उनके कद को आसमानी ऊंचाईयां प्रदान कर दी लेकिन श्री वर्मा ने अपने इस कार्यकाल में बदायूं लोकसभा क्षेत्र या अन्य क्षेत्र में ऐसा कोई कार्य नही किया है जिसको लेकर वह जनता का विश्वास जीत सके। सांसद मौर्य लखनऊ निवासी दीपक स्वर्णकार से विवाद के चलते चर्चा है जिसको लेकर उनकी छवि भी काफी हद तक धूमिल हुई है।
बताते हैं कि सांसद संघमित्रा और केन्द्रीय मंत्री सिर्फ और सिर्फ मोदी की गारंटी पर ही निर्भर है। अगर दोनों में से किसी को टिकिट पार्टी देती है तब वह मोदी की गारंटी पर ही चुनाव लड़ेगा ऐसी स्थिति में हार हो या जीत यह उसकी किस्मत ही तय करेगी। हालांकि इससे पूर्व चर्चा तेज थी कि राज्यसभा सांसदों को आम चुनाव लड़ाया जाएगा। पार्टी के इस निर्देश के बाद से केन्द्रीय मंत्री बदायूं लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय है मगर उनका ऐसा कोई काम नही है जो जनता उन्हें मजबूती से वोट दे सके। देखना यह है कि इन दोनों नेताओं में से किस पर भाजपा अपना विश्वास व्यक्त करती है या फिर किसी पैराशूट प्रत्याशी को लाकर राजनीति में एक बार फिर सबको चौंका सकती है। वर्ष 2019 में भाजपा ने जब स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री संघमित्रा मौर्य को अपना प्रत्याशी बनाया तब यह चर्चा हुई कि वह चुनाव जीत सकती है और वह भाजपा की उम्मीदों पर खरी उतरीं थी।