उझानी

डीएम साहिबा देखिए स्वास्थ्य विभाग का कारनामा, सील नर्सिंग होम की तुड़वा दी सील, पोल खुली तो दुबारा किया सील

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उझानी(बदायूं)। नगर में प्रसूताओं की जान लेने वाले अवैध रूप से संचालित अस्पतालों के संचालकों और जिले के स्वास्थ्य महकमा के कर्मियों की मिलीभगत का नमूना आज उझानी में देखने को मिला। यहां गत वर्ष 26 दिसम्बर को प्रसूता की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा सील किया गया एक नर्सिंग होम की सील संचालक ने तोड़ दी और कार्य शुरू कर दिया। जब स्वास्थ्य विभाग का कारनामा आम हुआ तब शुक्रवार को आनन-फानन उझानी पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संचालक पर कानूनी कार्रवाई करने के बजाय दुबारा से नर्सिंग होम को सील कर दिया जबकि सील करने वाला कर्मी खुद का इसके लिए अधिकृत नही बता रहा था। स्वास्थ्य सेवाओं में अव्यवस्थाओं को लेकर जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तब काफी सजग है फिर भी स्वास्थ्य विभाग अपनी मनमानी करने से बाज नही आ रहा है।

शुक्रवार की दोपहर स्वास्थ्य विभाग का बाबू नितिन कुमार, डा. पंकज कुमार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्साधीक्षक डा. राजकुमार के साथ उझानी के बरी बाइपास स्थित आशा नर्सिंग होम पहुंचे तब पता चला कि नर्सिंग होम की सील टूटी हुई है और वहां अस्पताल से संबंधित निर्माण कार्य चल रहा है जबकि सूत्र कह रहे हैं कि अस्पताल में मरीज देखे जा रहे थे और टीम के आने की भनक पहले ही अस्पताल संचालक को लग गई जिससे उसने वहां से सारे मरीज हटा दिए। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के बाबू ने जल्दबाजी दिखाते हुए डा. राजकुमार से पूछकर नर्सिंग होम का दुबारा से सील कर दिया। जब अस्पताल का एक कमरा सील कर रहे बाबू नितिन से पूछा गया कि उसे सील करने का अधिकार है जिस पर उसने तपाक से जबाब दिया कि वह इसके लिए अधिकृत नही है। जब उससे पूछा गया कि वह अस्पताल सील करने के लिए अधिकृत है तब बाबू बोला मै अधिकृत नही हूं। बाबू से जब पूछा गया कि वह अस्पताल किस आधार पर सील कर रहा है तब उसने कहा कि इसके लिए सीएचसी के अधीक्षक डा. राजकुमार गंगवार से पूछ लो।

अस्पताल सील करने के बाद जब सीएचसी के अधीक्षक डा. राजकुमार गंगवार से पूछा गया कि पहले से सील नर्सिंग होम की सील किस आधार पर खुल गई और सील खोलने वाले अस्पताल संचालक के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई इस पर उन्होंने कहा कि हमारी जानकारी नही है यह सब जिला स्तर से हुआ है। इसी दौरान मौजूद नर्सिंग होम संचालक ने अस्पताल सील होने का विरोध जताया और कहा कि उसने शपथ पत्र दिया था जिसके आधार पर उसे जिला अस्पताल कार्यालय से उस कमरे की चाबी मिली थी और उसकी आधार पर उसने सील तोड़ कर ताला खोला था। यहां बता दें कि गत वर्ष 25 दिसम्बर को एक प्रसूता की प्रसव होने से पूर्व अस्पताल में मौत हो गई थी जिससे उस नर्सिंग होम को उपमुख्य चिकित्साधिकारी की मौजूदगी में सील कर दिया गया था मगर महज पांच दिन के अंदर संचालक ने सील तोड़ कर कार्य शुरू कर दिया था। जिले भर में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को लेकर जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव काफी सजग है फिर भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्ट और मनमाने तरीके से काम कर अवैध अस्पतालों का संचालन करा रहे हैं।

अस्पताल संचालक को सील खोलने का अधिकारी नही, कराई जाएगी जांच C M O
इस मामले में जब मुख्य चिकित्साधिकारी डा. रामेश्वर से पूछा गया तब उन्होंने बताया कि अस्पताल की सील कैसे टूटी इसकी जांच कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि सील किए गए अस्पताल की सील खोलने का अधिकार अस्पताल संचालक का नही है।

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