बदायूं। प्रशासनिक अनदेख का लाभ उठाते हुए जल जीवन मिशन से जुड़े कर्मियों और अधिकारियों ने बदायूं के लौड़ा बहेड़ी गांव में लगे प्रतिबंधित प्रजाति के नींब और बेल के हरे भरे एक दर्जन से अधिक पेड़ों को रातोंरात कटवा दिया और सभी पेड़ों की लकड़ी को बेंच कर गायब करा दिया। जजमि के कर्मियों की जानकारी जब प्रधान को हुई तब उन्होंने सिविल लाइन पुलिस को लिखित सूचना दी साथ ही वन विभाग को भी कीमती प्रतिबंधित हरे भरे पेड़ कटान की सूचना दी है। इस मामले के बाद प्रधान संगठन ने मिशन से जुड़े अधिकारियों, कर्मियों और ठेकेदारों की जांच करा कर कार्रवाई की मांग उच्चाधिकारियों और प्रदेश सरकार के वन मंत्री से की है।
सिविल लाइन थाना क्षेत्र के गांव लौड़ा बहेड़ी में हर घर जल योजना के तहत पानी की टंकी का निर्माण किया जा रहा है। टंकी का निर्माण जल जीवन मिशन से जुड़े ठेकेदार करा रहे हैं। बताते हैं कि गांव में टंकी परिसर में लाखों रुपया कीमती नींब और बेल के एक दर्जन से अधिक प्रतिबंधित प्रजाति के हरे भरे नींब और बेल के पेड़ खड़े हुए थे। बताते हैं कि इन पेड़ों पर जल जीवन मिशन के ठेकेदारों, कर्मियों और अधिकारियों की पूर्व से नजर थी जिसके चलते मंगलवार की रात से हो रही बरसात का लाभ उठा कर कर्मियों ने रातोंरात एक दर्जन से अधिक प्रतिबंधित पेड़ कटवा लिए और सभी पेड़ों की कीमती लकड़ी को बुधवार की सुबह 11 बजे तक गायब करा दी। बताते हैं कि जब इसकी जानकारी ग्राम प्रधान पुलेन्द्र सिंह को हुई तब वह मौके पर पहुंचे लेकिन उस वक्त उन्हें कोई कर्मी, ठेकेदार या अधिकारी नही मिला। प्रधान ने सिविल लाइन थाना पहुंच कर इसकी लिखित शिकायत पुलिस से की साथ ही वन विभाग को मिशन कर्मियों की करतूतों से अवगत कराया।
इस मामले में जब वन रक्षक विकेन्द्र शर्मा से बात की गई तब उन्होंने बताया कि बुधवार को लगातार बारिश होने के कारण वह मौके पर नही पहुंच सके हैं। श्री शर्मा ने बताया कि वह गुरूवार की सुबह मौके पर जाकर स्थिति को देखेंगे और ठेकेदार समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराएंगे। श्री शर्मा ने बताया कि उक्त पेड़ प्रतिबंधित प्रजाति के हैं और पेड़ों की लकड़ी की बरामदगी पर विभाग का पूरा जोर रहेगा। उन्होंने बताया कि अगर काटे गए पेड़ों की लकड़ी न मिल पाई तब ऐसी स्थिति में आरोपियों के खिलाफ मामला न्यायालय को भेजा जाएगा।
इस मामले की जानकारी प्रधान ने राष्ट्रीय पंचायती राज प्रधान संगठन के पदाधिकारियों को दी जिस पर संगठन से जुड़े प्रधानों ने गुरूवार को डीएम से मुलाकात कर मिशन के कर्मियों, जेई, ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे। इस मामले में जब संगठन के जिलाध्यक्ष पंकज सक्सेना से बात की गई तब उन्होंने बताया कि किसी भी गांव से प्रतिबंधित पेड़ों का कटान कर उसे बिना अनुमति गायब कराना या बेंचना बहुत ही गंभीर मामला है ऐसे मामलों में प्रशासन और उच्चाधिकारियों को स्वतः संज्ञान में लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। श्री सक्सेना ने बताया कि वह भी संगठन की ओर से पूरे प्रकरण को शासन तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। श्री सक्सेना ने कहा कि मिशन से जुड़े जेई, ठेकेदार अन्य गांवों से भी पेड़ों का कटान करा चुके होंगे तभी लौड़ा बहेड़ी से एक दर्जन से अधिक पेड़ों को रातोंरात कटवा कर अपने साथ ले गए है।
पेड़ कटानों की यह है प्रक्रिया
किसी भी स्थान से अगर जनहित में आवश्यकता पड़े तब पेड़ काटने के लिए उपजिलाधिकारी कार्यालय से अनुमति ली जाती है और वही से एक पत्र वन विभाग को मिलता है जिसके तहत विभाग काटे जाने वाले पेड़ों का मूल्यांकन करता है और अगर जरूरी होता है तब पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाती है। गांव लौड़ा बहेड़ी में प्रतिबंधित हरे भरे नींब और बेल के पेड़ तो काट लिए मगर उपजिलाधिकारी कार्यालय से अनुमति नही ली गई। अगर अनुमति ली जाती तब वन विभाग को भी इसकी जानकारी होती। वन रक्षक ने किसी प्रकार की अनुमति से इंकार किया है। जिससे लगता है कि बड़े स्तर से एक रणनीति के तहत लाखों रुपया के पेड़ों को अवैध रूप से काट कर गायब करा दिया गया है।