उझानी

खेतों से लेकर शहर की गलियों, हाइवे पर धमाचैकड़ी मचा रहे हैं आवारा गौवंश, जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी

Up Namaste

उझानी, (बदायूं)। क्षेत्र में परेशानियों का सबब बने गौवंशों की धमाचैकड़ी से लोगों को राहत मिलती नही दिख रही है। गांव से लेकर शहर की घनी आबादी के साथ साथ राष्ट्रीय राजमार्ग (हाइवे) पर गौवंशों के झुण्ड देखे जा सकते है जो हादसों का कारण भी बन रहे हैं। अधिकारी पहले चुनाव में अब मतगणना में व्यस्त है जिसके परिणाम स्वरूप गांवों एवं कस्बा तथा शहरों की गौशालाओं की व्यवस्था चरमरा कर रह गई है! कही हरा चारा नही है तो कही दाना नही है। जैसे तैसे इधर उधर भटक कर गौवंशों का गुजारा हो रहा है।

कहने की जरूरत नही है कि जितने गौवंश गौशाला में बंद है उससे कही अधिक संख्या में भूख से व्याकुल गौवंश छुट्टा घूम रहे हैं। छुट्टा घूम रहे गौवंशों की धमा-चैकड़ी के चलते जहां किसान परेशान है वही शहरी इलाकों में नागरिकों और गलियों एवं सड़कों से निकलते राहगीर बेहद परेशान है। भूख प्यास से व्याकुल गौवंश राहगीरों पर हमलावर हो रहे है जिससे नागरिकों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। हाइवे पर गौवंशों एवं उनके झुण्डों का अचानक आ जाने से लगातार हादसे देखने को मिल रहे हैं इसके बाद भी गौवंशों की निगरानी जिम्मेदार कराने में विफल है जबकि गौशाला संचालक गौवंशों को पालने के बजाय सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता बटोरने में लगा हुआ है।
ग्रामीण इलाकों में छुट्टा गौवंशों का हाल सबसे खराब है। गौवंशों के झुण्ड जिस खेत में पहुंच जाए उस खेत की पूरी की पूरी फसल बर्बादी के कगार पर पहुंच जाती है। छुट्टा गौवंशों से परेशानहाल किसान अपने खेत में खड़ी फसलों को बचाने के लिए दिन रात जाग कर गौवंशों को इधर उधर हांकते नजर आते है। दिन रात जाग कर फसलों को बचाने में लगे किसानों में तनाव का माहौल बन गया है और वह सरकार और प्रशासन को बुरा भला कहता नजर आता है। बहरहाल गौवंशों के उत्पात से लोगों को राहत मिलती नजर नही आ रही है क्योंकि चुनाव से लेकर मतगणना की व्यवस्था में जुटे अधिकारियों द्वारा गौवंश की उपेक्षा से और गौशालाओं के संचालकों की अनदेखी से व्यवस्था पूरी तरह से धराशायी नजर आ रही है।

सिर्फ बयानों पर ही नजर आते है निर्देश
उझानी। छुट्टा घूम रहे गौवंशों का गौशालाआंे में समुचित प्रबंध कराने के बजाय अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर मौज ले रहे है। डीएम से लेकर जिम्मेदार अधिकारी अक्सर यह बयान जारी करते हैं कि छुट्टा या आवारा गौवंश सड़कों पर दिखे तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी लेकिन वह यह भूल जाते है कि केवल अखबारी बयानबाजी से इस विकराल समस्या का निदान नही मिल सकता है। गौवंशों के उत्पात से जमीनी स्तर पर कार्य करके नागरिकों, किसानों और वाहन चालकों को मुक्ति दिलाई जा सकती है।
गौशाला संचालकों के खिलाफ हो कार्रवाई
उझानी। पूरे जिले में आवारा गौवंशों का उत्पात रोकने के लिए गौशालाओं का निर्माण कराया गया है और इसके लिए शासन से पर्याप्त मात्रा में धन भी आबंटित किया जाता है इसके बाद भी गौवंश गौशलाओं के बजाय किसानों के खेतों, शहर की गलियों और हाइवे की सड़कों पर नजर आते है। शासन इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी और गौशाला संचालकों पर कार्रवाई कर सख्ती करें तब कही जाकर समस्या से निदान की उम्मीद की जा सकती है।

Up Namaste

Leave a Reply

error: Content is protected !!