बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव दिधौनी में चल रही श्रीमद भागवत कथा का आज समापन हो गया। कथा में वाचक ममतता शक्य ने सुदामा चरित्र एवं प्रसाद का महत्व समझाया। कथा वाचक ममता शाक्य ने सुदामा चरित्र का वर्णन एवं संपूर्ण विवाह वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सच्चा मित्र वही होता है जो विपत्ति के समय अपने मित्र के काम आए तथा संसार में सबसे धनवान वही है। जिसके पास रामनाम रूपी धन है।
उन्होने कहा कि भागवत कथा से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ.साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप.पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथा वाचक ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। इस दौरान राधा.कृष्ण की सुंदर झांकी भी सजाई गई। भजनों पर श्रोतागण झूमते रहे। कथा समापन पर विधिविधान से लोगों ने पूजा.अर्चना की। शुक्रवार को कथा स्थल पर भंडारा आयोजित किया जाएगा। कथा को सफल बनाने में रामप्रकाश सिंह कृष्णमुरारी, देवपाल, राधेश्याम, विवेक कुमार सिंह, लोकपाल शाक्य, रामगोपाल शाक्य, सुरेंद्र प्रजापति, मोहनलाल, संजीव कुमार, विनोद कुमार, नेम कुमार, मुन्नालाल, लीलाधर, यशपाल, सुमित शर्मा, नैना देवी, कोमल, प्रियांशी देवी, निकिता, अंशू देवी, ज्योति रानी आदि का विशेष सहयोग रहा।