उझानी,(बदायूं)। दिखावे की आधुनिकता का चलन अब दिन प्रति दिन बढ़ने लगा है इससे धार्मिक क्षेत्र भी अछूते नही रह सके हैं। धार्मिक कार्यक्रमों और समारोह तथा रामलीला जैसे मंचों और मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम की धार्मिक महत्व वाली बारात में फूहड़ता और अश्लीलता से भरे नृत्य धर्म से जुड़ी भारतीय संस्कृति पर भारी पड़ने लगे है। इन कार्यक्रमों के आयोजक धर्म के प्रचार प्रसार को महत्व देने के बजाय अश्लीलता परोसने का काम कर रहे हैं।
उझानी के प्राचीन रामलीला मेले में पिछले कई सालों से रामलीला मंच पर अश्लील नृत्य का चलन तेजी से बढ़ा है। रामलीला के पदाधिकारी मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम चरित्र और भारतीय संस्कृति से युवा पीढ़ी को अवगत कराने के बजाय नृतकियों के ठुकमों से युवा पीढ़ी को मति भ्रमित करने में जरूर लगे हुए हैं। रामलीला मंच पर कलाकारों की लीला के समापन के बाद पूरी रात अश्लील नृत्य का जो दौर चलता है और उसमें युवा पीढ़ी से लेकर हर वर्ग का व्यक्ति आनंद उठाने के लिए बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता नजर आता है।
इस दौरान अश्लीलता की सारी हदें पार हो जाती है जिसके कारण रामलीला जैसे धार्मिक महत्व वाले मंच पर नोटो की बरसात पूरी रात होती रहती है। कई बार जागरूक नागरिकों ने रामलीला मंच पर अश्लील नृत्य को लेकर रामलीला के पदाधिकारियों से सवाल किए मगर उनका तर्क बड़ा अजीब होता है कि इससे मेला परिसर में दुकानदारों की बिक्री में इजाफा होता है।
रामलीला कमेटी के तत्वावधान में निकाले जाने वाली राम बारात के धार्मिक महत्व को मेला आयोजकों ने धूमिल करना शुरू कर दिया है। राम बारात में फूहड़ता और अश्लील नृत्यों का एक ठेला होता है जो राम बारात के महत्व को कम कर युवाओं को नृतकियों के आसपास मंडराने को मजबूर कर देता है। धार्मिक महत्व वाले आयोजनों में अश्लीलता प्रतिबंधित है मगर इस अश्लीलता के खिलाफ प्रशासन कड़ी कार्रवाई करने के बजाय मूक दर्शक बना रहता है। जागरूक नागरिकों का कहना है कि आज समाज में जो उद्दण्ता नजर आती है उसका एक कारण प्रत्येक समारोह में महिलाओं के अश्लील नृत्य भी है जो युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से दूर ले जाकर उन्हें गर्त में धकेलने का काम कर रही है। जागरूक नागरिकों ने योगी सरकार से धार्मिक महत्व वाले आयोजनों में होने वाले अश्लील नृत्यों पर पूरी तरह से रोक लगाने जाने की पुरजोर मांग की है।