उझानी(बदायूं)। अधिवक्ता नवीन कुमार श्रीमाली ने रेलवे की कार्य प्रणाली पर एक जबाब को लेकर रेलवे के समक्ष शिकायती सवाल उठाते हुए पूछा है तो क्या रेलवे ही नागरिकों और यात्रियों को नियम तोड़ने के लिए उकसाता है। उन्होंने उझानी रेलवे स्टेशन पर ओवरब्रिज बनाने को लेकर गिरेवांस पोर्टल पर शिकायत की थी जिस पर रेलवे ने साफ इंकार कर दिया और कहा कि प्लेटफार्म छोटा है इसलिए संभव नही है।
अधिवक्ता नवीन कुमार श्रीमाली ने पिछले दिनों उझानी रेलवे स्टेशन पर दो गाड़ियों के क्रास के दौरान प्लेटफार्म नम्बर दो पर जाने के लिए यात्रियों विशेषकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग यात्रियों ऊंचे प्लेटफार्म से नीचे उतरने में हो रही दिक्कतों तथा किसी हादसे की संभावना के मद्देनजर गिरेवांस पोर्टल पर रेल विभाग से उझानी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक से दो तक पुल बनाने की गुहार लगाई थी जिसके जबाब में रेलवे ने उझानी स्टेशन पर पुल बनने की संभावनाओं से साफ इंकार कर दिया और कहा कि प्लेटफार्म नम्बर दो की लम्बाई केवल तीन मीटर है जिस पर रेलवे के नियमानुसार पुल नही बनाया जा सकता है वही प्लेटफार्म नम्बर तीन मालगोदाम के लिए सुरक्षित है जिसकी रास्ता अलग से है।
अधिवक्ता श्रीमाली ने रेलवे के इस जबाब पर सवाल उठाते हुए पुनः पोर्टल के माध्यम से पूछा है कि रेलवे की नजर में इंसान की जान की कीमत है या नही? और क्या यात्री विशेषकर बुजुर्ग व महिला यात्री छह फीट की ऊंचाई से बिना प्लेटफॉर्म के ही जान जोखिम में डाल कर उतरते रहेंगेे।
उन्होंने कहा है कि रेलवे यात्रियों को नियम तोड़ने के लिए खुद ही उकसा रहा है। उन्होंने बताया कि इंडियन रेलवे एक्ट, 1989 के तहत रेलवे लाइनों का अतिक्रमण दंडात्मक अपराध है। इसमें गलती करने वाले पर 1000 रुपये का जुर्माना या 6 महीने की जेल की सजा हो सकती है। किसी खास परिस्थिति में जेल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है। ऐसे में रेलवे कहता है कि इससे बचने के लिए लोग रेलवे फुटओवर ब्रिज का इस्तेमाल करें। इससे सुरक्षा की गारंटी मिलती है और कानूनों का उल्लंघन भी नहीं होता। धारा 147 के तहत रेल पटरी पार करने पर 6 महीने की जेल और 1 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। उन्होंने उझानी रेलवे स्टेशन पर ओवरब्रिज बनाने के लिए पुनः विचार का अनुरोध रेलवे से किया है।