उझानी

गौवंश और आवारा पशु से फसलों को बचाने की जद्दोजहद जुटे हैं किसान, कोई रस्सी बांध रहा था तो कोई पुतला

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उझानी(बदायूं)। प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार के तमाम निर्देशों और आदेशों के बाद भी किसानों के लिए परेशानी और आर्थिक नुकसान का सबब बने छुट्टा घूम रहे गौवंशों समेत सुअर, बंदर आदि पशुओं पर प्रशासनिक स्तर पर नकेल और लगाम नही कसी जा सकी है जिससे यह आवारा पशु लगातार किसानों की फसलों को बर्बाद करते आ रहे हैं। आवारा गौवंशों और अन्य पशुओं से अपनी फसलों को बचाने के लिए किसान परिवार समेत कड़ाके की ठंड के बाबजूद जद्दोजहद करता नजर आ रहा है। प्रशासन से मिल रही निराशा किसानों के चेहरें पर चिंता की लकीर खींच रहा है।

वर्तमान समय में रबी की फसलें खेतों में बोई जा चुकी हैं। गेंहू, सरसों, आलू समेत अन्य फसलें खेतों में उगने लगी है। रबी की इन फसलों पर पूरे क्षेत्र में आवारा गौवंशों समेत सुअर, बंदर आदि पशु अपनी नजर रखे हुए हैं। किसानों की माने तो उन्होंने गेंहू और सरसों दूसरी बार अपने खेतों में बोया है। किसानों का कहना है कि एक बार की पौध को आवारा गौवंश समेत अन्य पशु पूरी तरह से नष्ट कर चुके हैं। किसानों को आवारा गौवंशों एवं अन्य पशुओं से होने वाली पीड़ा जानने और उसको शासन-प्रशासन तक पहुंचाने के लिए हमने उझानी क्षेत्र के तीन गांवों का भ्रमण किया जिसमें किसानों का एक ही कहना था कि आवारा गौवंशों का आतंक से सभी बेहाल है। कड़ाके की ठंड में किसानों को फसलों में लगने वाली यूरिया और डीएपी डालने की चिंता नही दिखी वह केवल अपनी फसलों को आवारा पशुओं को बचाने के प्रयास में लगे हुए थे।

सबसे पहले छतुईया गांव के खेतों की ओर हमने रूख किया तब एक खेत पर मौजूद परमेश्वरी और कुंवरपाल ने बताया कि उनके खेत में इस समय आलू की फसल लगी हुई है जिसकी रखवाली को वह 24 घंटे निगरानी में लगे रहते हैं। इन किसानों ने बताया कि गौवंशों के झुंड खेतों में घुस जाते है और फसलों को बुरी तरह से रौंद कर नष्ट सा कर देते हैं। देवरमई पश्चिमी निवासी गंगादेवी अपनी पुत्री और दिव्यांग पुत्र के साथ खेतों के चारों और रस्सी बांधती नजर आई। जब उनसे पूछा गया तो वह बोली की गौवंश उनकी फसलों को नष्ट करने में नही चूकते हैं जिसकी रोक-थाम को वह खेत के चारों और रस्सी बांध रही है। उन्होंने बताया कि उनकी गेंहू की फसल एक बार पशु नष्ट कर चुके हैं तब दूसरी बार फसल को बोया है। आगे इसी गांव के जगदीश व महेश पाल,नामक किसान मिला। जगदीश ने बताया कि यहां गौवंशों के अलावा सुअर आदि फसलें बर्बाद करते रहते हैं। जगदीश ने बताया कि गौवंशों से फसलों को बचाने के लिए वह खेत पर झोपड़ी डाल कर 24 घंटे रहते हैं जबकि सुअरों से फसलों को बचाने के लिए खेत में मिट्टी के कट्टे भर कर रख दिए हैं।

देवरमई पूर्वी निवासी भपेन्द्र, मुलायम सिंह, भूरे लाल, कुंवरसेन, विष्णु दयाल और धर्मपुर निवासी गिरीश, सर्वेश पत्नी जीवाराम रामदास का भी यही दर्द था। महिला किसान कड़ाके की ठंड में खेत पर थी जब उससे इसका कारण पूछा गया तो वह बोली- यहां आवारा गौवंशों का आतंक है और वह फसलें बर्बाद कर रहे हैं। उसने बताया कि आवारा गौवंशों ने उनकी सरसों की फसल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। सर्वेश का कहना है कि उसके समेत अन्य गांव वालो ने विस चुनाव में वोट मांगने आए प्रत्याशियों और प्रधान को इस समस्या के बारे में बताया मगर किसी ने गौर नही किया। यहां कोई किसान आवारा गौवंश और अन्य पशुओं से फसलों को बचाने के लिए खेतों में पुतला लगा रहा था तो कोई मोटी रस्सी बांध रहा था। किसान रामदास का कहना है कि गौवंश इतने खतरनाक है कि उन्हें फटकारने पर वह हमला बोल देते हैं। गौवंशों के हमले में उसके भाई समेत दो किसान घायल हो चुके हैं।

तीनों गांवों के किसानों का एक ही कहना था कि सरकार आवारा गौवंशों को पकड़ कर गौशाला में रखने का आदेश तो देती है और अधिकारी एवं ग्रामीण स्तर पर गौवंशों के नाम पर खेल हो जाता है जिससे आवारा गौवंशों से जुड़ी समस्या अब विकराल बनती जा रही है। किसानों ने इस मौके पर कहा कि मीडिया के लोग ही सीएम योगी तक किसानों के दर्द को पहुंचा सकते हैं, अगर योगी जी चाहे तो वह किसानों को इस मुश्किल से निजात दिला कर उन्हें घर में सोने की स्वतंत्रता दे सकते है।

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