बदायूं। लखनऊ उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया ने कहा कि विधि व्यवसाय समेत प्रत्येक क्षेत्र में संस्कारों का बड़ा ही महत्व है, संस्कारों से कार्य क्षमता को बढ़ावा मिलता है। श्री लवानिया ने कहा कि युवा अधिवक्ताओं को वरिष्ठ अधिवक्ता उनका मार्ग दर्शन कर कानूनी नियमों की जानकारी दें ताकि युवा अधिवक्ता अपनी बात प्रभावी ढंग से न्यायालय में रख सके।
न्यायमूर्ति लवानिया सोमवार को जिला बार एशोसिएशन द्वारा नवनिर्मित आटोडोरियम का लोकापर्ण करने के बाद अधिवक्ताओं को सम्बोधित कर रहे थे। न्यायमूर्ति ने इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा संज्ञान में लाई गई विभिन्न समस्याओं सहजता से निराकरण संबंधी जबाब देते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारी और अधिवक्ता दो अलग पहिया न होकर एक और साथ-साथ है। न्यायालय में अधिवक्ता अपनी बात किस प्रभावी तरीके से रखता है यह मायने रखता है।
न्यायमूर्ति ने कहा कि अधिवक्ता भगवान कृष्ण के रूप में कार्य करते है तभी पीड़ित को न्याय दिला पाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक अधिवक्ता को न्यायिक गरिमानुसार कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा अधिवक्ताओं को अपने सीनियर से कानूनी बारिकियों को समझने और सीखने की जरूरत है तभी वह न्यायालय में अपने कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन सही तरीके से कर सकते हैं। इससे पूर्व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया ने जिला बार एशोसिएशन के अध्यक्ष योगेन्द्र पाल सिंह और महासचिव संदीप मिश्रा के साथ आटोडोरियम का पूजा अर्चना करके उद्घाटन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।