उझानी(बदायूं)। शारीरिक स्वास्थ्य को योग, तनाव मुक्ति को ध्यान और आधुनिकता से दूर सरल जीवन जीने के लिए सनातन संस्कृति ही वर्तमान में सबसे महत्वपूर्ण है। यह विचार हरविलास गोयल स्कूल में आयोजित ध्यान एवं योग शिविर में ओशोधारा नानक धाम मूसल से आए आचार्य कुलदीप ने नागरिकों के समक्ष व्यक्त किए।
आचार्य कुलदीप ने कहा कि आज की आधुनिकता की चकाचौंध में फंस कर अधिकांश लोग अपने जीवन को अर्थहीन बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह इस फेर में लगे हुए हैं कि अधिकाधिक संपत्ति को अर्जित किया जा सके। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के दौर में लोग सनातन संस्कृति को भी दर किनार करते नजर आते हैं जो मनुष्य के पतन का कारण बनता जा रहा है। आचार्य कुलदीप ने कहा कि आधुनिकता के दौर की शिक्षा भी तथ्य और अर्थहीन होकर रह गई है। इस शिक्षा से बच्चों की नींब तो मजबूत नही हो पाती है बल्कि विद्यार्थियों में एकांकीपन का भाव जरूर पैदा हो जाता है जो आने वाले भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
आचार्य कुलदीप ने कहा कि वर्तमान युग में ध्यान का सबसे बड़ा महत्व है। ध्यान के जरिए मनुष्य आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता है और फिर भगवान में कुछ समय लीन होकर अपने जीवन को सार्थक बना सकता है। उन्होने कहा कि प्रत्येक मनुष्य एवं विद्यार्थी को ध्यान जरूर करना चाहिए तभी वह अपने जीवन को संवार सकता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में मनुष्य तमाम तरह की बीमारियों में उलझ कर रह गया है इसका मुख्य कारण है कि मनुष्य ने शारीरिक श्रम को तो कम किया ही है साथ ही भारतीय संस्कृति का स्वास्थ्य प्रेरक योग को पूरी तरह से भुला दिया है। उन्होंने कहा कि हम सब को आधुनिकता को दूर कर सनातन संस्कृति को एक बार फिर से अपनाना होगा तभी हम सब जीवन सफल बन सकेगा। इस दौरान शिविर में पहुंचे नागरिकों ने ध्यान एवं योगाभ्यास किया। इस अवसर पर राजन मेंदीरत्ता, करन थरेजा, विक्रांत मेंहदीरत्ता, सुभाष थरेजा समेत तमाम नागरिक मौजूद रहे।